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बीस वर्षों से काबिज़ भाजपा बचा पाएगी गढ़, या मिलेगा वनवास

मध्यप्रदेश की रीवा विधानसभा में भाजपा का बीस सालों से दबदबा है. यहां के विधायक राजेंद्र शुक्ला 2018 में चौथी बार भारतीय जनता पार्टी की तरफ से चुनाव जीते और विधायक बने. कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा में राजेंद्र शुक्ला के खिलाफ कॉलेज के दोस्त इंजीनियर राजेंद्र शर्मा को उतारा है. भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ला की छवि विकास पुरुष के रूप में है.

2003 में राजेन्द्र शुक्ला पहली बार विधायक बने, 2008 के चुनाव में राजेन्द्र शुक्ला विधायक के साथ ही मंत्री भी बने. 2013 और 2018 का चुनाव जीतकर भी राजेन्द्र शुक्ला मंत्री बने लेकिन 2018 में उन्हें मंत्री तब बनाया गया जब 2023 का चुनाव नजदीक हैं. 

विधायक का कार्यकाल कैसा रहा ये जानने के लिए विंध्य फर्स्ट ने रिपोर्ट तैयार किया है
विधायक राजेंद्र शुक्ला 2018 की adr की रिपोर्ट के मुताबिक 54 वर्ष के है. इनकी शैक्षणिक योग्यता- ग्रेजुएट है. इनकी घोषित संपत्ति ₹ 16 करोड़ से अधिक है, और आय का स्रोत है कृषि,पेंशन, किराया है.विधायक पर अब तक कोई क्रिमिनल केस दर्ज नही हैं. Prs की रिपोर्ट के मुताबिक विधायक निधि से क्षेत्र में खर्च शून्य है, पांच साल के कार्यकाल में राजेंद्र शुक्ला ने विधानसभा में 21 सवाल उठाए हैं.पिछला चुनाव सड़क, बिजली, पानी जैसे कई मुद्दों पर लड़ा गया था.

रीवा की जनता का कहना है कि रीवा में जिस गति से विकास होना चाहिए हुआ नहीं है. सड़क बना देना विकास नहीं है. बीस साल से विधायक हैं, चाहते तो रोजगार के लिए फैक्ट्रियां ले आते लेकिन विधायक राजेंद्र शुक्ला ने केवल जनता को मूर्ख बनाया है. सरकार की योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच रहा है. अस्पतालों में गंदगी का अंबार है. शुक्ला जी केवल फीता काटना जानते हैं. विकास में रीवा अन्य शहरों की अपेक्षा उपेक्षित है. विधायक निधि से कोई ऐसा काम नहीं हुआ जिसे जनता विधायक को याद करे. विधायक निधि का पैसा कहां गया किसी को नहीं पता. क्योंकि रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार का डाटा नही है.

लोगों की शिकायत पर विधायक शुक्ला ने कहा की विधायक निधि हमारी कभी लैप्स नहीं हुआ है. कांच की तरह साफ है. कुछ दिन बाद डाटा आ जाएगा जिसे हर कोई देख सकता है. विधायक ने दावा किया कि रीवा में विकास तेज़ी से हो रहा है. रीढ़ में उद्योग आ रहे हैं. रीवा प्रगति के पथ में है.

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