विंध्य का रीवा शहर अपने आप में कई तरह की संस्कृति को समेटे हुए है. यहां के हर मंदिर से जुड़ी हुई एक खास कहानी और अपनी मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक मंदिर है रीवा का चिरहुलानाथ मंदिर. हनुमान जी के इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.
500 वर्ष पहले बने इस मंदिर को जिला अदालत का दर्जा दिया गया है. यानी भक्त जब किसी परेशानी में होते हैं तो इस मंदिर में अपनी अर्जी लगाते हैं और स्वयं हनुमान जी न्यायाधीश बनकर सुनवाई करते हैं. चिरहुलानाथ में बजरंगबली के 9 स्वरूप देखने को मिलते हैं. इसके अलावा यहां देश के अलग-अलग हिस्सों में बने 12 ज्योतिर्लिंग भी स्थापित किए गए हैं. अगर इस मंदिर में सुनवाई न हो तो भक्त हाई कोर्ट का रुख करते हैं यानी रामसागर.
तालाब किनारे बने रामसागर हाई कोर्ट का रुख भक्त तब करते हैं जब चिरहुलानाथ में मनोकामना पूरी नहीं होती है. रामसागर में भी भगवान हनुमान का ही एक स्वरूप है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह 500 साल पहले स्थापित किया गया था. भक्तों की जो सुनवाई चिरहुलानाथ की दरबार में नहीं होती वो रामसागर दरबार के हनुमान जी करते हैं. अगर किसी भक्त को हाई कोर्ट से भी निराशा मिलती है तो वह सुप्रीम दरबार का रुख कर सकता है.
जब किसी भक्त की मनोकामना चिरहुलानाथ और रामसागर में पूरी नहीं होती तो वह खेमसागर के सुप्रीम दरबार में अर्जी लगाते हैं. खेमसागर के न्यायाधीश भी भगवान हनुमान ही हैं. ऐसा माना जाता है सेमसागर दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता.
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