बीते साल मध्यप्रदेश को तीन और इस साल चौथी वंदे भारत की सौगात मिली. भारतीय रेलवे की ये अत्याधुनिक स्वदेशी ट्रेन अपनी स्पीड के लिए मशहूर है. 160 km प्रति घंटे की स्पीड से चलने वाली ये ट्रेन लंबे सफर को आसान बनाने के लिए चलाई गई थीं, हालांकि कुछ जगह वंदे भारत को यात्रियों से खास रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है.
मध्य प्रदेश में चार वंदे भारत ट्रेन चल रही हैं. प्रदेश में पहली वंदे भारत ट्रेन 1 अप्रैल 2024 को रानी कमलापति से हजरत निजामुद्दीन चली थी. यह देश की 11वीं वंदे भारत ट्रेन थी. इसके बाद दूसरी इंदौर से भोपल तक चलाई गई जो बाद में नागपुर तक जाने लगी. तीसरी वंदे भारत रानी कमलापति से जबलपुर तक चलाई गई, बाद में यह रीवा तक जाने लगीं.
हाल फिलहाल में जिसे पीएम ने हरी झंडी दिखाई वो है खजुराहो से हजरत निजामुद्दीन तक जाने वाली वंदे भारत ट्रेन. खजुराहो वाली वंदे भारत को ज्यादा समय नहीं हुआ है इसलिए मध्य प्रदेश में चलने वाली बाकि तीन वंदे भारत एक्सप्रेस की परफॉर्मेंस पर दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट तैयार की.
इस रिपोर्ट में पता चला कि सर्दियों के समय पर कोहरे की वजह से इन ट्रेनों की पंक्चुएलिटी में फर्क आया और ट्रेन लेट हुईं. इस मामले में दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन से भोपाल के रानी कमलापति आने वाली ट्रेन की परफॉर्मेंस 71.6% के साथ सबसे पीछे रही, तो वहीं ऑक्यूपेंसी के मामले में रानी कमलापति से रीवा आने वाली ट्रेन 66% के साथ सबसे पीछे रही.
अब सवाल ये उठता है कि ऑक्यूपेंसी के मामले ये ट्रेन इतनी पीछे क्यों है. जब रीवा स्टेशन जाकर लोगों से बात तो उनका कहना था कि ट्रेन की टाइमिंग बेहद खराब है. जो ट्रेन दोपहर 3.30 बजे भोपाल से चलती है, वो रात में 11:30 बजे रीवा स्टेशन पहुंचाती है. रीवा से वंदे भारत सुबह 5:30 बजे चलती है जो कि दोपहर में डेढ़ बजे भोपाल पहुंचाती है. जबिक रेवांचल एक्सप्रेस में रात का सफर है, सोते-सोते कब पहुंच जाते हैं पता भी नहीं चलता.
कुछ लोगों का ये भी कहना था कि इसका किराया काफी ज्यादा है और इतनी दूर का सफर बैठकर तय करना मुश्किल हो जाता है. साथ ही ट्रेन में खाने को लेकर भी लोगों को दिक्कत है क्योंकि जब ये ट्रेन जबलपुर तक चलती थी तब यात्री को दिए गए खाने नमें कॉकरोच निकला था. इसलिए लोग इसमें सफर करना पसंद नहीं कर रहे.
पूरी रिपोर्ट देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें