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RTI को हथियार बनाकर भ्रष्टाचार की जड़ें कमजोर कर रहे पियूष त्रिपाठी, पढ़िए उनकी कहानी

पियूष त्रिपाठी ने 35 साल की उम्र में ही आरटीआई कार्यकर्ता बनकर नाम कमाया है. मैहर जिले के रहने वाले पियूष पेशे से वकील हैं. खास बात यह है कि सूचना के अधिकार का कानून (RTI) समाज के लोगों के लिए एक ब्रह्मास्त्र बनकर उभरा है.

सूचना के अधिकार का कानून (RTI) समाज के लोगों के लिए एक ब्रह्मास्त्र बनकर उभरा है. इससे बड़े भ्रष्टाचारों से लेकर छोटे भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं. सरकारी कागजों में दिखने वाले कामों की जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है. इसी क्रम में आज के इस आर्टिकल में हम पियूष त्रिपाठी की कहानी आपको बताएंगे. जिन्होंने 35 साल की उम्र में ही आरटीआई कार्यकर्ता बनकर नाम कमाया है. मैहर जिले के रहने वाले पियूष पेशे से वकील हैं. RTI एक्टिविस्ट पियूष परसवाही गांव से आते हैं.

जानकारी के लिए बता दें कि साल 2005 में RTI का कानून लागू किया गया था. आरटीआई कार्यकर्ता पियूष त्रिपाठी ने साल 2012 में पहली RTI दाख़िल की थी. उसके बाद से अब तक करीबन 700 से अधिक RTI फाइल कर चुके हैं. पियूष, विंध्य के गांवों से लेकर शहरों तक सरकारी कामों पर नज़र रखते हैं. खास बात यह है कि पियूष के प्रयासों से कई बदलाव हुए हैं.

RTI एक्टिविस्ट पियूष त्रिपाठी की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।