Vindhya First

Search

रीवा में ये कैसा ‘विकास’ न पीने को पानी, न रहने को घर

विंध्य क्षेत्र की रीवा विधानसभा में आज भी कई ऐसी जगह हैं जहां लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. केन्द्र और राज्य ने हर घर में जल पहुंचाने की अलग-अलग योजनाएं भी चलाई लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

रीवा जिले के सगरा गांव के रहिया टोला के शांति कोल, मनीषा कोल और गुड़िया कोल जैसे कई लोगों की शिकायत है कि आज भी पीने के पानी के लिए दूसरों पर निर्भर हैं. विंध्य फर्स्ट की टीम से बात करते हुए बस्ती के सभी लोग मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं. सरकार की आवास योजना हो, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना हो या हर घर नल जल योजना उन्हें इन तीनों मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिला.

रीवा जिले से विधायक राजेंद्र शुक्ला भी लोकयंत्रिकी मंत्री हैं. उनके क्षेत्र के लोगों को बुनियादी सुविधा मुहैया नहीं हो रही है. कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोगों को सरकार की इन योजनाओं के बारे में कुछ पता ही नहीं है, क्योंकि प्रशासन ये जानने की कोशिश ही नहीं करता कि योजनाओं का लाभ हितग्राहियों तक पहुंच भी रहा है या नहीं.
आजादी के इतने साल बाद भी लगभग 50 फ़ीसदी लोग पीने के पानी के लिए परेशान हैं. खासकर ग्रामीण महिलाओं को पानी के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है.

2021 में लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन की घोषणा की. जिसका लक्ष्य साल 2024 तक हर एक ग्रामीण परिवार को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था. हर घर नल जल योजना के जरिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2024 तक हर घर तक जल पहुंचाने का दावा किया है. इतना ही नहीं नल जल योजना की कामयाबी का विज्ञापन भी जारी करते रहते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों से मेल नहीं खाती.

पूरी खबर जानने के लिए, देखिए खोज-खबर का पूरा वीडियो