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सड़क और बिजली में भी सबसे पिछड़ा क्यों है विंध्य ?

मध्यप्रदेश में जितनी बिजली बनती है उसका 63% विंध्य क्षेत्र से जाता है. जिस विंध्य में कोयला, पानी और सौर ऊर्जा से इतनी बिजली बनती है वहां कई गांव ऐसे हैं जहां लोग बिजली के लिए परेशान है. विंध्य के लोगों की बिजली और सड़क जैसी मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं हो रही हैं.

एमपी में बिजली का कुल उत्पादन 19427 मेगावाट है. जिसमें से 9185 मेगावाट मध्यप्रदेश सरकार के ऊर्जा विभाग के अधीन स्थापित बिजली संयंत्रों से बनती है. बाकी बिजली केंद्र सरकार की एजेंसियों जैसे एनटीपीसी और एनएचडीसी के अधीन बनती है.

मध्यप्रदेश की 63 प्रतिशत बिजली विंध्य क्षेत्र में पैदा होती है
विंध्य में कोयले से 10550 मेगावाट बिजली बनती है. जल वि्दयुत परियोजनाओं से 1025 मेगावाट और सौर ऊर्जा से 750 मेगावाट बिजली बनती है. यानी विंध्य में बिजली का कुल उत्पादन 12325 मेगावाट है, जबकि यहां प्रति व्यक्ति बिजली खपत 517 किलोवाट है जो कि राज्य की औसत 791 किलोवाट से कम है फिर भी यहां के लोग बिजली के लिए परेशान हैं.

मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सो में बिजली का उत्पादन
मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सो में बिजली का उत्पादन विंध्य से काफी कम है. महाकौशल में 1532, मालवा – निमाड़ में 4855 और मध्य भारत में 715 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.

पक्की सड़क के दावे भी खोखले
विंध्य में सड़कों का हाल भी बेहाल है. मध्यप्रदेश में औसतन हर हजार आदमी पर 1.51 किलोमीटर पक्की सड़कें है. मालवा में हर हजार आदमी पर औसतन 1.76 किलोमीटर सड़कें हैं. मध्य भारत का औसत है 1.45. ग्वालियर चंबल क्षेत्र में हर हजार आदमी पर 1.37 किलोमीटर सड़कें हैं. विंध्य में हर हजार आदमी केवल 0.87 किलोमीटर सड़कें हैं. यानी एक किलोमीटर भी नहीं.