मध्यप्रदेश में ऐसे कई धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों को अपने आप में समेटे हुए है. मध्यप्रदेश में ख़ासकर विंध्य क्षेत्र जो अपनी धार्मिक मान्यताओं को लेकर अलग ही जाना जाता है. विंध्य में न सिर्फ़ खनिज और प्राकृतिक संपदाओं के लिए जाना जाता है. बल्कि यहां के ऐतिहासिक स्थल इस जगह को और अधिक ख़ास के साथ साथ गौरवान्वित भी महाशूश कराते हैं. विंध्य क्षेत्र के त्रिकूट पर्वत पर बिराजमान मां शारदा का चमत्कारी मंदिर है. जहां से कोई ख़ाली हाथ वापस नहीं लौटते. वहीं सतना ज़िले से थोड़ा दूर चित्रकूट का जंगल है जौअन भगवान राम के १४ वर्ष के बनवास के प्रमाण हैं.
इसी तरह रीवा ज़िले में भगवान शिव का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जिन्हें महामृत्युंजय के नाम से जाना जाता है. महामृत्युंजय मंदिर के शिवलिंग में 1001 छिद्रयुक्त जो की दुनियां के किसी कोने में आपको देखने को नहीं मिलेगा. ठीक इसी तरह विंध्य क्षेत्र का एक ऐसा ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल जिसे लोग बसामन मामा के नाम से जानते हैं. यह ऐतिहासिक स्थल टमस नदी के तट पर स्थित है. बसामन मामा रीवा जिला से तकरीबन 32 किलोमीटर की दूरी पर सेमरिया विधानसभा स्थित है. जहां भक्ति और आस्था का अद्वितीय नजारा ही देखने को मिलता है.
इस अनोखे मंदिर में पीपल के पेड़ की पूजा होती है. पीपल के पेड़ से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं वाली हर किसी ने ढेरों कहानियां सुनी होंगी लेकिन इस पेड़ की मान्यता ही कुछ अलग है. पीपल के पेड़ के इर्द गिर्द पूरा परिसर ही धार्मिक स्थल है. पीपल के पेड़ के पास ही बसामन मामा की समाधी भी है.
बसामन मामा में भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए उनकी मूर्ती पर जल, फूल-बेलपत्र और चंदन चढ़ाते हैं. साथ ही मंदिर परिसर की दीवार और पीपल के पेड़ में लाल चुनरी में नारियल लपेट कर बांधते है, और मन्नत पूरी होने पर इसे खोल देते हैं. साथ ही बसामन मामा की समाधि के ऊपर प्रसाद, पैसे और चावल दाल की खिचड़ी जैसी कई सारी सामग्री भी चढ़ाते हैं. मान्यताओं के मुताबिक बसामन मामा के इस धार्मिक स्थल की कहानी बेहद रोचक है. यह एक व्यक्ति और पीपल के पेड़ से जुड़ी हुई है. यह कहानी है सेमरिया स्थित कुम्हार गांव के एक ब्राम्हण परिवार में जन्में ब्रह्मदेव शुक्ला बसामन की जो कि प्रकृति प्रेमी थे. इन्हें बचपन से ही पीपल के पेड़ से बहुत अधिक लगाव था. ब्रह्मदेव अपने घर के सामने लगे पीपल के पेड़ की हर रोज पूजा किया करते थे और इस पेड़ को ब्रम्हा धाम मानते थे. ब्रह्मदेव इस पीपल के पेड़ को कभी काटने नहीं देते थे.
बसामन मामा को लेकर लोगों में ऐसी मान्यता है कि जब ब्रम्हदेव अपने क्रोध में राजा की गढ़ी ध्वस्त करने के बाद राजकुमार को खत्म करने जा रहे थे. रानी को जैसे ही उनके इस क्रोध के बारे में जानकारी मिली. तब रानी ने बेटे को बचाने के लिए एक सलाह दी कि तुम्हारे सामने कोई भी आए तुम सभी को मामा कहकर बुलाना. क्योंकि पुराणों में ऐसी मान्यता है कि मामा कभी भी भांजे को चोट नहीं पहुंचाते. जब ब्रह्मदेव के सामने राजा का बेटा आया तो उसने उन्हें मामा कहकर पुकारा और वो बच गया, तब से लोग उन्हे बसामन मामा कहकर रक्षासूत्र बांधने लगे.
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बसामन मामा से जुड़ी रोचक कहानी जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो।।