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मध्य प्रदेश का चमत्कारिक मंदिर: औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया ये आस्था, गैवीनाथ धाम के खंडित शिवलिंग का महाभिषेक

मध्य प्रदेश का चमत्कारिक मंदिर: औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया ये आस्था, गैवीनाथ धाम के खंडित शिवलिंग का महाभिषेक

मध्य प्रदेश का चमत्कारिक मंदिर: औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया ये आस्था, गैवीनाथ धाम के खंडित शिवलिंग का महाभिषेक

मध्य प्रदेश का चमत्कारिक मंदिर: मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित गैवीनाथ धाम भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है. यहाँ स्थित खंडित शिवलिंग की पूजा होती है, जिसके पीछे एक ऐतिहासिक और चमत्कारिक कथा छुपी हुई है. मान्यता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने इस शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन वह असफल रहा. आज भी यहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, और इस बार पहली बार जलधारी से अभिषेक की नई व्यवस्था की गई है.

गैवीनाथ धाम का ऐतिहासिक महत्व

  • यह मंदिर बिरसिंहपुर, सतना में स्थित है और पद्म पुराण में इसका उल्लेख मिलता है.
  • कहा जाता है कि त्रेतायुग में राजा वीर सिंह के समय यहाँ भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे.
  • मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू (स्वयं प्रकट) माना जाता है.

औरंगजेब द्वारा शिवलिंग तोड़ने का प्रयास

  • मुगल शासक औरंगजेब ने 1704 ई. में इस मंदिर पर हमला किया और शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की.
  • किंवदंती के अनुसार, जब उसने शिवलिंग पर तलवार से प्रहार किया, तो पहले वार में दूध, दूसरे में खून, तीसरे में मवाद, चौथे में फूल-बेलपत्र और पाँचवें वार में मधुमक्खियों का झुंड निकला.
  • इस चमत्कार से घबराकर औरंगजेब और उसकी सेना को भागना पड़ा.
  • आज भी शिवलिंग पर तलवार के निशान देखे जा सकते हैं .

खंडित शिवलिंग की पूजा की अनूठी परंपरा

  • हिंदू धर्म में आमतौर पर खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित होती है, लेकिन गैवीनाथ धाम एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ खंडित शिवलिंग की पूजा होती है.
  • भक्तों का मानना है कि यहाँ पूजा करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं.
  • सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि पर यहाँ लाखों श्रद्धालु आते हैं .
मध्य प्रदेश का चमत्कारिक मंदिर: औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया ये आस्था, गैवीनाथ धाम के खंडित शिवलिंग का महाभिषेक
मध्य प्रदेश का चमत्कारिक मंदिर: औरंगजेब भी नहीं तोड़ पाया ये आस्था, गैवीनाथ धाम के खंडित शिवलिंग का महाभिषेक

पहली बार जलधारी से अभिषेक की व्यवस्था

  • इस साल श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने जलधारी प्रणाली शुरू की है.
  • अब भक्त गर्भगृह में प्रवेश किए बिना बाहर से ही जलाभिषेक कर सकते हैं.
  • यह व्यवस्था भीड़ नियंत्रण और दर्शन में सुविधा के लिए की गई है .

श्रद्धालुओं की अटूट आस्था

  • गैवीनाथ धाम में सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि दूर-दराज से भक्त आते हैं.
  • मंदिर परिसर में “हर-हर महादेव” और “बम-बम भोले” के जयकारे गूँजते हैं.
  • श्रद्धालु मानते हैं कि यहाँ के दर्शन से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

कैसे पहुँचें?

  • निकटतम रेलवे स्टेशन: सतना (35 किमी).
  • हवाई अड्डा: खजुराहो (142 किमी).
  • सड़क मार्ग से भी बिरसिंहपुर आसानी से पहुँचा जा सकता है .

गैवीनाथ धाम न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि हिंदू आस्था और इतिहास का जीवंत प्रमाण भी है. औरंगजेब जैसे क्रूर शासक के हमले के बावजूद यह शिवलिंग आज भी भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. सावन के इस पवित्र मौसम में हर शिवभक्त को एक बार इस पावन धाम के दर्शन अवश्य करने चाहिए.

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