मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों के हालात खस्ता हाल हैं. ग्रामीण इलाकों में संचालित स्कूलों की इमारतें जर्जर हालत में हैं. कई स्कूलों में कक्षा पहली से 8वीं तक के स्टूडेंट एक ही कैमरे में बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी है जबकी शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की भरमार है. आज के इस आर्टिकल में हम मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मैहर ज़िला के अमरपाटन तहसील के ग्राम पंचायत परसवाही में स्थित एक सरकारी स्कूल (Government school) की पड़ताल करेंगे. यह स्कूल जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर है.
बता दें कि शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय परसवाही, लगभग 7 दशक से संचालित है. आजादी के पहले से संचालित इस स्कूल से हजारों की संख्या में स्टूडेंट पास हो चुके हैं. हालांकि जर्जर इमारत के कारण आज यहां पर पढ़ने वाले 76 बच्चों को हर वक्त जान का खतरा बना रहा है. परसवाही का ये स्कूल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इस स्कूल में पहली से आठवीं तक के 76 विद्यार्थियों के नाम दर्ज हैं. इन बच्चों को पढ़ने के लिए सिर्फ एक कमरा है. यह कमरा भी काफी जर्जर अवस्था में है. थोड़ी सी भी बारिश होते ही इस कमरे की छत टपकती है.
मध्य प्रदेश में हैं 94,039 सरकारी स्कूल
आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में 94,039 सरकारी स्कूल हैं. इनमें से 36,059 स्कूल शहरी क्षेत्रों में हैं जहां शिक्षकों की संख्या सरप्लस है. जबकि गांवों में सैकड़ों की संख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां पर शिक्षक नहीं हैं. वहीं प्रदेश के 6 हज़ार 798 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं. प्रदेश में सरकारी स्कूलों के हालात इतने खराब हैं कि एक ही शिक्षक हिन्दी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, गणित और विज्ञान विषय पढ़ाते हैं. ऐसे में परसवाही पूर्व माध्यमिक विद्यालय जैसे स्कूल मध्य प्रदेश शासन की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं.
स्कूल से संबंधित जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।