बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में तीन दिन में 10 हाथियों की मौत के बाद IVRI रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट में हाथियों की मौत में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक हाथियों की मौत कोदो बाजरा में साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड पाए जाने से हुई है. मीडिया रिपोर्ट की माने तो हाथियों ने बड़ी मात्रा में खराब कोदो के पौधे और अनाज खाए हैं. नमूनों में पाए गए साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड मौत की वजह बने हैं. इसके साथ ही आयवीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में आस-पास के क्षेत्रों में ध्यान रखने के लिए एडवाइजरी भी जारी की है. इसमें ग्रामीणों में जागरूकता, खराब फसल में मवेशियों को न चराने, इस पर और अध्ययन करने जैसे बिंदु दिए गए हैं.
एपीसीसीएफ और मप्र वन विभाग की ओर से गठित एसआईटी के प्रमुख एल. कृष्णमूर्ति के मुताबिक भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), यूपी की टॉक्सिकालॉजिकल की रिपोर्ट के अनुसार हाथियों ने बड़ी मात्रा में कोदो पौधे/अनाज खाया था. बता दें कि घटना के एक सप्ताह बाद पहली जांच रिपोर्ट जारी की गई है. जांच के बाद यह रिपोर्ट मध्य प्रदेश वन विभाग को सौंप दी गई है.
केंद्र सरकार की टीम कर रही जांच
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत के बाद केंद्र सरकार की ओर से वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) का गठन किया गया है. यह टीम पिछले 4 दिनों से बांधवगढ़ में हाथियों की मौत का कारण पता लगाने में जुटी हुई है.
हाथियों की मौत का पूरा घटनाक्रम
- 28 अक्टूबर – खितोली रेंज में 13 हाथियों का समूह दिखा.
- 29 अक्टूबर – चार जंगली हाथी मरे मिले.
- 30 अक्टूबर – चार और हाथियों की मौत हुई.
- 31 अक्टूबर – दो हाथियों की फिर मौत.
बांधवगढ़ में हाथियों की एंट्री
- बांधवगढ़ में साल 2018-19 में, तकरीबन 40 जंगली हाथियों का एक दल पहुंचा था.
- हाथियों का यह दल ओडिशा और छत्तीसगढ़ के रास्ते यहां पहुंचा था.
- वर्तमान में करीब 70 हाथी बांधवगढ़ नेशनल पार्क में रहते हैं.
- मध्य प्रदेश में वर्तमान में करीब 150 हाथी हैं.
बांधवगढ़ नेशनल पार्क
- बांधवगढ़ नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में है.
- यह इलाका 1536 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है.
- बांधवगढ़ नेशनल पार्क बाघों की उच्च घनत्व वाली आबादी के लिए दुनियाभर में मशहूर है.
शुरुआती जांच में अधिकारियों का क्या कुछ कहना है सुनिए.