सिंगरौली. मोरवा के लोग बीमारियों की जकड़ में आसानी से फंस रहे हैं. यह इलाका सिंगरौली (Singrauli) जिले में आता है. वैसे तो इस जिले में हर तरह की सुविधा मौजूद है. लेकिन बावजूद मोरवा (Morwa) के लोग पलायन (Exodus) करने के लिए मजबूर हैं. दरअसल, सिंगरौली के कई इलाकों के साथ पूरे मोरवा में प्रचुर मात्रा में कोयला मौजूद है. कंपनियों के द्वारा पूरे मोरवा में कोयले का उत्खनन किया जा रहा है.
ऐसे में लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं. कोयले (Coal Mines) का उत्खनन करने वाली कंपनी के ऊपर आरोप लगाते हुए स्थानीय लोग कहते हैं कि कंपनी ने जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया लेकिन मुआवजा नहीं दिया. ऐसे में घर बनाने के लिए हम पैसा कहां से पाएं. यही कारण है कि लोग मजबूरी में विस्थापित (Displacement) हो रहे हैं. मोरवा के स्थानीय लोग असमय मौत का शिकार हो रहे हैं. उन्हें जब तक अपनी बीमारी का पता चलता है तो काफी देर हो चुकी होती है.
स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
कोयले के उत्खनन से मोरवा की आबोहवा खराब हो रही है. जिसका सीधा असर यहां के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. स्थानीय लोग सांस और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. कोल माइंस के आस – पास रहने वाले लोग अपंगता के शिकार हो रहे हैं. इतना ही नहीं स्थानीय लोग स्क्रीन से जुड़ी बीमारियों के भी शिकार हो रहे हैं. बाल झड़ने की समस्या मोरवा में आम हो चुकी है. इतना सब होने के बाद भी मोरवा के लोग मुआवजे की आस लगाए हुए हैं.
हालांकि इस बारे में ना तो कोल माइंस कंपनी ध्यान दे रही है और ना ही सरकार का ध्यान, विस्थापित हो रहे इन मजबूर लोगों की तरफ है. ऐसे में मोरवा के लोगों का भविष्य क्या होगा इस बारे में कोई नहीं जानता.
मोरवा के लोगों की समस्या जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।