मानव विकास संस्थान (human development institute) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (international labour organization) ने एक रिपोर्ट जारी की. जिसमें पाया गया कि, भारत में काम करने वालों की जनसंख्या (working population) पहले से कम हुई है. यह भी बताया गया कि, देश में महिलाएं पहले से ज्यादा बेरोज़गार हुई है. जबकि पुरुषों की संख्या में ज्यादा उतार चढ़ाव देखने को नहीं मिला है.
बेरोज़गारी क्या है
बेरोज़गारी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें कोई शिक्षित व्यक्ति जो काम की तलाश करता है. लेकिन उसे अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है. अगर किसी देश में ज्यादा से ज्यादा लोग बेरोज़गार होंगे तो देश का विकास नहीं हो पायेगा. साथ ही जिस देश में working population ज्यादा होगी उस देश की GDP काफी तेजी से ग्रो करेगी और देश विकसित होगा.
बेरोज़गारी दर में बदलाव
जब आर्थिक मंदी के दौरान नौकरी के अवसर कम हो जाते हैं, तो बेरोज़गारी बढ़ जाती है. इसके विपरीत, आर्थिक विकास और समृद्धि के दौर में, जब लोगों के लिए कई रोज़गार के अवसर उपलब्ध होते हैं, तो बेरोज़गारी दर में गिरावट आने की उम्मीद होती है. इसकी गणना बेरोज़गार लोगों की संख्या को श्रम बल में लोगों की संख्या से भाग करके की जाती है. हालाकि, इसे करने के लिए देश में इसकी ज़िम्मेदारी राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन को दी गयी है. जो देश में बेरोज़गारी दर तय करती है.
पिछले 15 सालों में बेरोज़गारी दर
साल 2008 में भारत में बेरोज़गारी दर 5.41% थी. यानी कुल आबादी के 5.41% लोग बेरोज़गार थे. साल 2009 में 5.54% लोग बेरोजगार थे. साल 2010 में 5.55%, 2011 में 5.43% और 2024 आते-आते बेरोजगारी दर 9.2% तक पहुंच गया.
human development institute और international labour organization के 2024 रिपोर्ट्स के अनुसार , भारत की कार्यशील आबादी यानी की WORKING POPULATION 2011 में 61% से बढ़कर 2021 में 64% हो गई और 2036 में इसके 65% तक पहुंचने का अनुमान है. हालाकि, 2022 में आर्थिक गतिविधियों में शामिल युवाओं का प्रतिशत घटकर 37% रह गया है. इतना ही नहीं इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) ने इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) के साथ मिलकर ‘इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024’ के नाम से एक रिपोर्ट जारी की है. इसके हिसाब से अगर भारत में 100 लोग बेरोज़गार हैं, तो उसमें से 83 लोग युवा हैं. इसमें भी ज्यादातर युवा शिक्षित हैं.
फरवरी 2024 में बेरोज़गारी दर में वृद्धि के साथ-साथ श्रम भागीदारी दर (LPR) और रोज़गार दर में भी वृद्धि हुई. फरवरी में LPR बढ़कर 41.4% हो गई. जो पिछले महीने 40.6 प्रतिशत थी. वहीं रोज़गार दर फरवरी 2024 में 37.8% से बढ़कर 38.1% हो गई.
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