मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना 3 दिसंबर को है. ऐसे में भाजपा-कांग्रेस एवं बसपा के समर्थक अपने-अपने उम्मीदवारों की जीत-हार का दावा पेश कर रहे हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र की भी सियासत में अटकलों का दौर शुरू है. इस बार के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र की 30 सीटों में से 9 सीटों पर मुकाबले त्रिकोणीय दिखाई दे रही है.
इन 9 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों को BSP जोरदार टक्कर दे रही है. लोग ऐसा मान रहे हैं कि कम मतों से हार-जीत का फैसला संभावित है. जीत के संभावित प्रत्याशियों को लोगों ने घेरना शुरू कर दिया है. जिन 9 सीटों में भाजपा- कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टीयों के उम्मीदवार के बीच मुकाबले हैं. वे सीटें विंध्य क्षेत्र के 6 जिलों में शामिल है. जिनमें रीवा जिले की तीन विधानसभा सीटें और सतना की दो मैहर,शहडोल, मऊगंज और सिंगरौली जिले की एक-एक विधानसभा सीटें शामिल है.
इन 9 सीटों में से ज्यादातर सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को बीएसपी ने टक्कर दी है. विंध्य क्षेत्र से ही बहुजन समाज पार्टी की संसद में एंट्री हुई थी. यहां से ही साल 1991 में बीएसपी के पहले सांसद भीम सिंह चुने गए थे. तब से ही विंध्य में बीएसपी तीसरी ताकत के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाती आ रही है. ये कहना है दैनिक जागरण के संपादक देवेंद्र सिंह का है. उन्होने आगे ये भी कहा कि इस बार के चुनाव में विंध्य क्षेत्र की लगभग एक तिहाई सीटों में मुकाबला दो से तीन के बीच होगा.
रीवा जिले की सिरमौर, त्योंथर और सेमरिया सीट हैं सिरमौर में भाजपा,कांग्रेस और बीएसपी के बीच काटें की टक्कर है. बीएसपी के टिकट पर रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर वीडी पाण्डेय चुनाव लड़ रहे हैं. वीडी पाण्डेय भाजपा-कांग्रेस की गणित बिगाड़ने की कोई कसर नहीं छोड़ी है. दो बार से विधायक रहे दिव्यराज सिंह पर भाजपा ने एक बार फिर से भरोसा जताते हुए चुनावी मैदान में उतारा है.
जातिगत समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस ने पूर्व विधायक रामगरीब बनवासी को टिकट देकर बीएसपी एवं भाजपा की गणित बिगड़ने बनाई है. लेकिन यहां ब्राह्मण वोटर एक बार फिर एकजुट हो गए जिसकी वजह से वीडी पाण्डेय को फायदा मिल सकता है.
रीवा जिले की सेमरिया सीट हॉट सीट रही, यहां से बीजेपी में 69 दिन गुजार कर फिर कांग्रेस में आए अभय मिश्रा का मुकाबला बीजेपी के केपी त्रिपाठी से है. तब बीएसपी ने यहां भी वहीं गणित लगाते हुए दो ब्राम्हणों की इस कांटे की टक्कर को देखते हुए बीएसपी ने पंकज पटेल को इस सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ाया है. 2013 के चुनाव में पंकज पटेल दूसरे स्थान पर थे. जबकि 2018 में बीएसपी की टिकट से ही तीसरे नंबर पर रहे.
रीवा जिले की तीसरी विधानसभा सीट त्योंथर है. यहां का मुकाबला पार्टी के बागियों की वजह से त्रिकोणीय है. बीजेपी के बागी देवेंद्र सिंह बीएसपी के टिकट पर चनावी मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस के बागी सिद्धार्थ तिवारी राज बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके रमाशंकर पटेल को टिकट दिया है.
सतना और रैगांव विधानसभा सीट में भी बीएसपी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. सतना सीट से बीजेपी ने सांसद गणेश सिंह को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया है. जिसमें उनके सामने पार्टी के ही स्थानीय नेता और नगर निगम अध्यक्ष रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा ने बगावत कर दी. बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतरे शिवा ने बीजेपी को न जीतने देने की प्रतिज्ञा ली है. वहीं कांग्रेस से वर्तमान विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू चुनाव मैदान लड़ रहे हैं.
इसी तरह रैगांव और नागौद सीट पर भी बीएसपी उम्मीदवारों ने मुकाबले को चुनौतीपूर्ण बना दिया है.
मैहर विधानसभा सीट से भाजपा के सिंधिया समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष धर्मेश घई मैदान में हैं. मैहर विधानसभा से वर्तमान विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपनी अलग पार्टी विंध्य जनता पार्टी से चुनाव लड़कर लड़ रहें हैं.
मऊगंज जिले की देवतालाब विधानसभा से वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष भाजपा के गिरीश गौतम चुनाव लड़ रहे हैं. यहां कांग्रेस ने वोटर्स को साधने के लिए गिरीश गौतम के भतीजे और जिला पंचायत सदस्य पद्मेश गौतम को मैदान में उतारा है. चाचा वर्सेज भतीजा के इस मुकाबले को सपा और बसपा ने चतुष्कोणीय बना दिया. कांग्रेस से बगावत कर सीमा जयवीर सिंह समाजवादी पार्टी से चुनावी मैदान में हैं. तो वहीं इस सीट पर पटेलों का वर्चस्व देखते हुए बीएसपी ने अमरनाथ पटेल को उतारा है. देवतालाब विधानसभा सीट के इस समीकरण ने मुकबले को चतुष्कोणीय बना दिया है.
सिंगरौली जिले की सिंगरौली विधानसभा सीट में भी मुकाबला चतुष्कोणीय दिख रहा है. लगातार अपना वर्चस्व बनाए रखने वाले राम लल्लू वैश्य को बेटे के गोलीकांड की वजह से उनकी टिकट चली गई. इसलिए रामलल्लू ने खुली बगावत न करके अपना पूरा समर्थन आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रानी अग्रवाल को दे दिया. जबकि भाजपा से राज निवास शाह तो कांग्रेस से रेनू शाह मैदान में हैं. यहां के मुकाबले में बीएसपी से चंद्र प्रताप सिंह विश्वकर्मा का मैदान में होना भी बढ़ा फेरबदल कर सकता है.
शहडोल जिले की जयसिंह नगर विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम भी चौकाने वाला हो सकता है. यहां भाजपा जैतपुर से वर्तमान विधायक मनीष सिंह को सीट बदलकर मैदान में उतारी है. भाजपा से टिकट की प्रबल दावेदार रही फूलमती सिंह ने टिकट न मिलने से बगावत करते हुए नारायण त्रिपाठी की विंध्य जनता पार्टी का दामन थाम लिया. वहीं कांग्रेस ने यहां से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नरेंद्र सिंह मरावी को प्रत्याशी बनाया है.
इन समीकरणों के बावजूद रीवा पत्रकार संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रावेंद्र पाण्डेय कहते हैं कि कांग्रेस को विंध्य की 30 विधानसभा सीटों में से 22 सीटें मिल सकती हैं. इस बार के चुनाव में बीजेपी को विंध्य में 10 सीटें लाना भी मुश्किल है.
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