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Indian Railways Kavach System: रेल दुर्घटना को रोकती है कवच प्रणाली, फिर क्यों होते हैं हादसे? आसान शब्दों में समझिए पूरी बात

भारत में हर रोज लगभाग 2 करोड़ 40 लाख लोग रेलवे से सफर करते हैं. अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क भारत का ही है. India Brand Equity Foundation के अनुसार, देश में कुल 22,593 ट्रेनें हैं. जिनमे से 9141 माल ढुलाई और 13,452 यात्री ट्रेनें हैं. रेलवे को देश की लाइफ लाइन कहते हैं. लेकिन यह सफर आसान नहीं है. हर साल ही कोई ना कोई बड़े रेल हादसे होते हैं. ऐसा ही एक हादसा 30 जुलाई को सुबह करीब 3 बजकर 45 मिनट पर झारखंड के चक्रधरपुर के पास हावड़ा-सीएसएमटी एक्सप्रेस के 18 डिब्बे पटरी से उतर जाने की वजह से होता है.

इस रेल दुर्घटना में 2 लोगों की मौत हुई और 20 लोग घायल हुए. बता दें की ये कोई पहली रेल दुर्घटना नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो साल 2017 में ट्रेन दुर्घटना की वजह से 195 लोगों की जान गई. साल 2019 में 16 लोग वहीं 2022 में 9 लोगों की मौत रेल दुर्घटना में हुई. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि देश में रेल दुर्घटना होने के पीछे क्या कारण है और इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं.

देश में रेल हादसों का आंकड़ा

  • साल 1960 से 1971 तक देश में 14769 रेल हादसे हो चुके हैं.
  • साल 1971 से 1982 तक देश में 9968 रेल हादसे हो चुके हैं.
  • साल 1982 से 1993 तक देश में 7013 रेल हादसे हो चुके हैं.
  • साल 1993 से 2004 तक देश में 4620 रेल हादसे हो चुके हैं.
  • साल 2004 से 2015 तक देश में 1853 रेल हादसे हो चुके हैं.
  • साल 2015 से 2022 तक देश में 449 रेल हादसे हो चुके हैं.

रेल दुर्घटनाओं में मौत का आंकड़ा
भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 तक रेलवे दुर्घटनाओं में कुल 16,431 मौतें हुई और 1,852 घायल हुए. इनमें से 67.7% लोगों की ट्रेन से गिरकर या फिर ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण मौत हुई. रेलवे की 2021-22 की ईयर बुक के मुताबिक, 2017-18 से 2021-22 के बीच पांच साल में 53 लोगों की मौत हुई है. जबकि, 390 लोग घायल हुए हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 और 2020-21 में ट्रेन हादसों में एक भी मौत नहीं हुई. हालांकि, ये वो दौर था जब दुनियाभर में कोविड महामारी फैली हुई थी.

  • 2017-2018 में 28 लोगों की मौत 182 लोग घायल हुए थे.
  • 2018-2019 में 16 लोगों की मौत 90 लोग घायल हुए थे.
  • 2020-2021 में एक भी मौत नही हुई लेकिन 73 लोग घायल हुए थे.
  • 2021-2022 में न तो कोई मौत हुई और न ही लोग घायल हुए.
  • 2022-2023 में 9 लोगों की मौत हुई 45 लोग घायल हुए थे.

ट्रेन हादसों के पीछे क्या कारण है
रेल हादसों के पीछे कई कारण हैं. जैसे मशीनी खराबी, रेलवे ट्रैक पर तोड़फोड़, रेल ज्वाइंट में खराबी,  ड्राइवरों की गलती, पटरियों का ट्रेन से उतर जाना आदि. ईयर बुक के मुताबिक, 2021-22 में कुल 34 ट्रेन हादसे हुए थे. इनमें से 20 हादसों की वजह रेलवे स्टाफ ही था. जबकि चार हादसे इक्विपमेंट फेल होने की वजह से हुए थे. इसके साथ ही तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण धातु से बनी रेल की पटरियां गर्मी के महीनों में फैलती हैं और सर्दियों में सिकुड़ती जाती हैं जिसकी वजह से रेल दुर्घटना हो जाती है. रेल हादसों की एक बड़ी वजह रेल ज्वाइंट को भी माना गया है. रेल ज्वाइंट में 2.5 से 3 सेंटीमीटर का स्पेस चाहिए होता है, और अगर इनका सही ढंग से रखरखाव और ध्यान नहीं रखा जाता तो ये दुर्घटना का भी रूप ले सकते हैं.

रेल हादसों को रोकने के लिए उठाए गए कदम
ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी सरकार की बनती है. रेल हादसों में जिन लोगों की जाने जाती है उन्हें सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाता है. पिछले पांच सालों में रेलवे ने लगभग 14 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है. 2021-22 में रेलवे ने लगभग 85 लाख रुपये से ज्यादा मुआवजा दिया है. ऐसे में रेल हादसों को रोकने के लिए सरकार ने ‘कवच’ सिस्टम शुरू किया है.

कवच सिस्टम क्या है
रेल कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है. इंजन और पटरियों में लगी इस डिवाइस से ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल किया जाता है. इससे खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाता है. सरकार यह दावा करती है की अगर दो इंजनों में कवच सिस्टम लगा है तो उनकी टक्कर नहीं होगी. यह भारत की अपनी स्वचालित सुरक्षा प्रणाली है, जो Train Collision Avoidance System-TCAS के नाम से वर्ष 2012 से शुरू की गई थी, जिसे Armour या “कवच” नाम दिया गया है. यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) उपकरणों का एक सेट है जो लोकोमोटिव तथा सिग्नलिंग सिस्टम के साथ-साथ पटरियों में भी स्थापित होता है.

1465 रूट में लगी है कवच प्रणाली
भारत में कवच प्रणाली को अब तक 1465 रूट किमी और 139 इंजनों पर तैनात किया जा चुका है. साथ ही रेलवे ने 6000 किमी पर तैयारी का काम भी शुरू कर दिया है. इतना ही नही भारतीय रेलवे स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच के लिए 10,000 किलोमीटर की निविदाएं जारी कर रही है. जिससे मानवीय भूल के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके. वर्तमान में, कवच अनुबंध दिल्ली-मुंबई (अहमदाबाद-वडोदरा खंड सहित) और दिल्ली-हावड़ा (लखनऊ-कानपुर खंड सहित) कॉरिडोर के लिए दिए गए हैं, जो पूर्वी रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, पश्चिम मध्य रेलवे और पश्चिमी रेलवे को कवर करते हुए लगभग 3000 मार्ग किमी है. सरकार के मुताबिक कवच को दक्षिण मध्य रेलवे के कुल 68,426 रूट किलोमीटर नेटवर्क में से 1,465 रूट किलोमीटर पर तथा 7,349 रेलवे स्टेशनों के 15,200 लोको इंजनों में से 144 पर तैनात किया गया है. इसके बाद भी रेल दुर्घटनाओं को पूरी तरह से रोका नहीं जा सका है.

रेलवे कवच से लोगों की जान कैसे बच सकती है जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।