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नेटवर्क की समस्या से परेशान गांव वालों ने किया मतदान का बहिष्कार, देश के 25,067 गांव नेटवर्क कनेक्टिविटी से कोसों दूर

लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल सुबह 7 बजे से शुरू हो गया है. मतदान के बीच सीधी जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेड़रा गांव के लोगों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया. मतदान के बहिष्कार का कारण गांव में नेटवर्क की समस्या है. मेड़रा गांव 30 सालों से नेटवर्क की समस्या का दंश झेल रहा है. जिसको लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया.

नहीं सुनी गई समस्या

कई बार सरपंच के साथ ग्रामीणों ने जिला पंचायत, प्रशासन और कलेक्टर को आवेदन दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. गांव वालों का कहना है कि, अगर हमें नेटवर्क की समस्या से निजात नहीं दिया गया तो हम वोट नहीं डालेंगे. हम ऐसे लोगों को क्यों चुने जो हमारी समस्या का समाधान ही नहीं कर पाते हैं.

देश में 25,067 गांव नेटवर्क से कोसों दूर

2023 में भाजपा सांसद जसकौर मीणा और निशिकांत दुबे ने देश में मोबाइल सेवा से वंचित गांवों को लेकर सरकार से जानकारी मांगी थी. जिस पर केंद्रीय संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के आंकड़ों के हवाले से बताया कि देश के 5,97,618 बसे हुए गांवों में से 25,067 गांवों में अभी भी मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है. वहीँ पांच राज्य ऐसे हैं, जो मोबाइल नेटवर्क में पिछड़े हुए हैं.

ओडिशा पहले पर तो मध्यप्रदेश नंबर दूसरे पर

मोबाइल नेटवर्क के मामले में पिछड़े राज्‍यों में पहले नंबर पर ओडिशा है. जहां के 6099 गांवों में आज तक मोबाइल नेटवर्क नहीं है. इसके बाद दूसरे नंबर पर मध्‍यप्रदेश है. यहां 2612 गांवों में मोबाइल की घंटी नहीं बजी है. वहीँ महाराष्‍ट्र के 2328 और तेलंगाना व आंध्रप्रदेश के 1787 गांवों में अभी तक मोबाइल नेटवर्क नहीं है. वहीं राजस्थान में 941 गांव मोबाइल सेवा से नहीं जुड़ सके हैं. छत्तीसगढ़ के 1847 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है. वहीं झारखंड के 1144, अरुणाचल के 2223, मेघालय के 1674, उत्तर प्रदेश के 347 गांवों में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं है.

एक तरफ केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया, कैशलेस इकोनॉमी जैसी बात करती है तो वहीं दूसरी तरफ कई इलाके ऐसे हैं जहां मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या है. देश 5G कनेक्टिविटी की तरफ बढ़ रहा है. वहीं इन क्षेत्रों में मोबाइल टावर तक नहीं है. भारत गांवों का देश है. और गांव के ये हालात डिजिटल इंडिया के सपने पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं.