विंध्य (Vindhya) की बेटी पर्वतारोही अंजना सिंह (mountaineer Anjana Singh) ने मैहर (Maihar) सहित प्रदेश का नाम गौरवान्वित किया है. अंजना ने हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मनाली की 15 हज़ार फिट ऊंची फ्रेंडशिप चोटी (Manali friendship peak) और लद्दाख की शिनकुन ईस्ट (Shinkun East peak) की 6011 फिट ऊंची चोटी फतह करके रिकॉर्ड बनाया है. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद अंजना ने साबित कर दिया है कि हौसले अगर बुलंद हों तो कामयाबी का शिखर चूमना कठिन नहीं है. अंजना को यह सफलता पाने के लिए काफी संघर्ष भी करना पड़ा. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंजना ने पिता का सपना पूरा करने के लिए एक लाख रुपये का कर्ज भी लिया.
बता दें कि पर्वतारोही अंजना सिंह मैहर जिले के अमरपाटन तहसील के बेंदुराकला गांव की रहने वाली हैं. अंजना अपने परिवार के साथ देश का नाम रोशन करने के लिए एवरेस्ट की चोटी फतह करना चाहती हैं. इस यात्रा पर जाने के लिए अंजना शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार भी हैं. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने के कारण वह अपने सपनों को साकार नहीं कर पा रही हैं. अंजना का कहना है कि सरकार से उनको कोई मदद नहीं मिल रही है. अगर शासन प्रशासन से मदद मिलेगी तो वह निश्चित ही एवरेस्ट की चोटी फतह कर सकेंगी.
बचपन से कुछ बड़ा करना चाहती थी अंजना
अंजना बताती हैं कि जब वह कम उम्र में अपने पिता के साथ खेतों में काम करने के लिए जाती थीं, तब से ही उन्हें कुछ बड़ा करके अपने परिवार और गांव का नाम रोशन करने की इच्छा थी. उन्हें पहले तो नहीं पता था इसके लिए क्या करूं लेकिन जब पता चला कि पर्वतों में चढ़ने की भी एक पढ़ाई होती है. तो अपने घर वालों को तैयार कर लिया. इसके बाद अंजना ने अभिमास इंस्टीट्यूट मनाली में एडमिशन ले लिया. इसके साथ ही अंजना के सपने साकार होना शुरू हो गए.
ऊंचाई बढ़ने पर घटता है ऑक्सीजन लेवल
अंजना एक घटना को याद करते हुए बताती हैं कि एक बार जब हमारा बेस कैंप लगा था. वहां हम एक घंटे के बाद बिल्कुल डाउन हो गए. हमारी सांसे फूलने लगी और बॉडी ने मूव करना बंद कर दिया था. दरअसल, ऊंचाई बढ़ने पर ऑक्सीजन लेवल घटता है. माउंटेनियर फील्ड जितना रोमांचित करने वाला है उतना ही खतरनाक भी है. इस क्षेत्र में करियर बनाने वालों को एडवांस एवरेस्ट का कोर्स जरूर करना चाहिए. अगर आपके पास एडवांस नहीं है तो बहुत सारी दिक्कतें पैदा होती हैं. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि एक इस फील्ड में रहने वाले लोगों को हमेशा आर्थिक संकट बना रहता है. एक माउंटेनियर को कोई भी आर्थिक इनकम जैसे बेनिफिट नहीं होते हैं.
तबियत खराब हुई पर नहीं मानी हार
अंजना बताती हैं कि माउंटेन पर चढ़ने के दौरान लगभग सभी लोग डाउन हो गए. हालांकि दो दिन आराम करने के बाद मेरे अलावा सभी लोग फिट हो गए. हमारे इंस्ट्रक्टर ने पूछा कि आपकी तबियत खराब है तो आप कैसे जाओगे? तब अंजना ने कहा कि बॉडी तो काम नहीं कर रही है लेकिन मैं जाऊंगी. वो ऐसा मोमेंट था कि यदि मैं अपनी बॉडी को मूव नहीं करती, यदि बॉडी में कोई इंप्रूव नहीं लाती तो हो सकता है कि मुझे वापस लौटना पड़ता. वहां से सिर्फ 100 मीटर के ऊपर चोटी दिख रही थी. अंजना बताती हैं कि हमारे सामने हमारा सपना था. हमने हिम्मत जुटाई और सभी ने चोटी फतह कर ली.
कौन है अंजना का गुरु
अंजना बताती हैं कि हरियाणा की लड़की हैं जिसको मैं अपना गुरु मानती हूं. उसका नाम एवरेस्टर मीनू कालीरमन है. उन्होंने अपने फील्ड में बहुत नाम कमाया है. अपने अगले प्लान के बारे में अंजना बताती हैं कि अब मैं ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची छोटी कनस को फतह करना चाहती हूं. ऑस्ट्रेलिया की कनस चोटी फतह करने के लिए अंजना को 4 लाख की आवश्यकता है. अगर अंजना को सरकारी मदद मिलती है तो वह एक नया कीर्तिमान गढ़ने को तैयार हैं.
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में लॉयर हैं अंजना
पर्वतारोही अंजना सिंह बाई प्रोफेशन लॉयर हैं. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में जूनियर शिप कर रही अंजना को सरकार से काफी उम्मीदें हैं. अंजना चाहती हैं कि सरकार मुझे स्पॉन्सर करे. मैं प्रदेश की नंबर वन बेटी बनकर दिखाना चाहती हूं. इससे पहले अंजना पुलिस में भर्ती होने के लिए कंपटीशन की तैयारी करती थीं. कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में ओबीसी का कटऑफ 70 गया था इसमें अंजना को 69.9 के करीब आए थे. अंजना को आज भी इस बात का अफसोस है कि अगर माउंटेन से जुड़ा एक क्वेश्चन सही होता तो वह पुलिस की नौकरी कर रही होती. हालांकि इसके बाद अंजना को माउंटेन से इतना लगाव हो गया कि आज भी वह इससे जुड़ी किताबें पढ़ती रहती हैं और नई-नई चोटियों पर फतह करने की तैयारी में लगी हुई हैं.
पर्वतारोही अंजना सिंह के संघर्ष की कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।