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लीला साहू: 10 किमी सड़क नहीं बना सकती सरकार? लीला साहू का गडकरी से सीधा सवाल

लीला साहू: 10 किमी सड़क नहीं बना सकती सरकार? लीला साहू का गडकरी से सीधा सवाल

लीला साहू: 10 किमी सड़क नहीं बना सकती सरकार? लीला साहू का गडकरी से सीधा सवाल

लीला साहू: आज की कहानी एक ऐसी महिला की है जो न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने जैसे हज़ारों लोगों के लिए सरकार से एक सवाल पूछ रही है. यह सवाल पिछले 30 सालों से अनसुलझा है. हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले की सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर लीला साहू की. वह एक बार फिर अपने गांव की बदहाल सड़क को लेकर चर्चा में हैं.

प्रधानमंत्री से लेकर गडकरी तक, किसी ने नहीं सुनी आवाज़

लीला पिछले एक साल से इस मुद्दे को उठा रही हैं. उन्होंने कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग किया तो कभी क्षेत्र के सांसद से गुहार लगाई. लेकिन अफसोस कि उनकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं है. इस बार उनकी हिम्मत देखकर सभी हैरान हैं. 9 महीने की गर्भवती होने के बावजूद वह सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से सीधा सवाल करती हैं, “क्या आप 10 किलोमीटर की सड़क नहीं बनवा सकते?”

लीला साहू: 10 किमी सड़क नहीं बना सकती सरकार? लीला साहू का गडकरी से सीधा सवाल
लीला साहू: 10 किमी सड़क नहीं बना सकती सरकार? लीला साहू का गडकरी से सीधा सवाल

जानलेवा सड़क: 30 गाँवों की पीड़ा

यह सड़क मझौली और रामपुर नैकिन को जोड़ती है. बारिश के मौसम में यह रास्ता पूरी तरह से दलदल में बदल जाता है. यहाँ बसें फँस जाती हैं, ट्रक पलट जाते हैं और गर्भवती महिलाएँ अस्पताल तक नहीं पहुँच पातीं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सड़क के कारण कई बार जानलेवा हादसे हो चुके हैं.

प्रशासन का बहाना: ‘वन विभाग की अनुमति का इंतज़ार’

जब भी इस सड़क के बारे में पूछा जाता है तो प्रशासन का एक ही जवाब होता है – “यह वन विभाग की ज़मीन है, अनुमति मिलनी बाकी है.” सवाल यह है कि क्या 30 साल में अनुमति नहीं मिल पाई? क्या सरकार को किसी बड़े हादसे का इंतज़ार है?

सोशल मीडिया पर मुहिम: #LeelaKeSaath

लीला अकेली नहीं लड़ रही हैं. स्थानीय युवाओं ने #LeelaKeSaath ट्रेंड करके इस मुद्दे को उठाया है. लेकिन जब जिले के कलेक्टर का फोन तक नहीं उठता, तो सवाल यह है कि क्या ग्रामीणों की आवाज़ दिल्ली तक पहुँच सकती है?

‘सबका साथ, सबका विकास’ – क्या ये गाँव इस दायरे से बाहर?

केंद्र सरकार बड़े-बड़े दावे करती है कि भारत तेज़ी से सड़क निर्माण कर रहा है. लेकिन सीधी के इन 30 गाँवों का क्या? क्या ये ‘सबका साथ, सबका विकास’ के दायरे से बाहर हैं? लीला की लड़ाई सिर्फ एक सड़क के लिए नहीं है. यह ग्रामीण भारत के सम्मान और मौलिक अधिकारों की लड़ाई है.

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