हिमालयी क्षेत्रों में मौसम ने एक बार फिर से करवट बदल ली है. पिछले दो दिनों से बद्रीनाथ धाम में भारी बर्फबारी हो रही है, जिससे न केवल धार्मिक स्थल पर बल्कि पूरे क्षेत्र में संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बर्फबारी के कारण तापमान में गिरावट आई है और कई स्थानों पर बर्फ की मोटी परत जम गई है. इस परिवर्तन ने स्थानीय प्रशासन के लिए बचाव कार्यों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. बर्फबारी के कारण निचले इलाकों में बारिश भी शुरू हो गई है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है.
ग्लेशियर टूटने से बड़ी त्रासदी
शुक्रवार सुबह हुई इस भारी बर्फबारी के बाद एक बड़ा ग्लेशियर टूटकर गिर पड़ा. इस हादसे के कारण 57 मजदूर बर्फ के नीचे दब गए. ये मजदूर बर्फबारी से पहले निर्माण कार्यों में लगे हुए थे. घटना के बाद जैसे ही प्रशासन को इसकी सूचना मिली, बचाव कार्य तुरंत शुरू कर दिया गया. अब तक 10 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, लेकिन 47 मजदूर अभी भी बर्फ के नीचे फंसे हुए हैं. बर्फबारी के कारण बचाव कार्यों में काफी कठिनाई आ रही है, क्योंकि लगातार बर्फ गिरने के कारण स्थिति और जटिल हो रही है.
यह भी पढ़ें-आर्ट इचोल: कला का अनोखा संसार, जहां प्रकृति और कला का दिखता है मिलाजुला रूप
बचाए गए मजदूरों की हालत गंभीर
बचाए गए 10 मजदूरों में से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है. इन मजदूरों को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल भेजा गया है, जहां उनकी हालत पर नजर रखी जा रही है. चिकित्सक उनकी स्थिति को लेकर गंभीर हैं, लेकिन वह पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि मजदूरों की जान बचाई जा सके. अन्य मजदूरों की तलाश के लिए बचाव दल ने अभियान तेज कर दिया है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है ताकि बाकी मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सके.
सीएम पुष्कर सिंह धामी की प्रतिक्रिया
घटना की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम का दौरा किया और बचाव कार्यों की निगरानी की. उन्होंने अधिकारियों को राहत कार्यों को तेज़ी से पूरा करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार पीड़ित मजदूरों को हर संभव मदद प्रदान करेगी और सभी बचाव प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. साथ ही, उन्होंने स्थानीय प्रशासन और भारतीय सेना की टीमों के प्रयासों की सराहना की, जो इस संकट को हल करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.
स्थानीय प्रशासन और सेना की सक्रियता
स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन सेवाओं को सक्रिय कर दिया है और भारतीय सेना के जवान भी बचाव कार्य में जुटे हुए हैं. प्रशासन ने बर्फबारी और ठंड के कारण स्थिति को देखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए अतिरिक्त संसाधन भेजे हैं. सेना की टीमों को भी घटनास्थल पर भेजा गया है ताकि वे बर्फ में फंसे मजदूरों को निकाल सकें. हालांकि, लगातार हो रही बर्फबारी बचाव कार्यों को धीमा कर रही है, फिर भी टीमों ने पूरी तत्परता के साथ अपनी भूमिका निभाई है.
यह भी पढ़ें-आयुष्मान भारत योजना: क्या यह गरीबों के लिए सच में कारगर साबित हुई?
बद्रीनाथ धाम और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा की सलाह
यह घटना बद्रीनाथ धाम और आसपास के क्षेत्रों में मौसम के अचानक बदलने की गंभीरता को दर्शाती है. स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्र में मौजूद सभी पर्यटकों और स्थानीय लोगों को मौसम के अचानक परिवर्तन के बारे में चेतावनी दी है. लोगों से अपील की गई है कि वे अत्यधिक बर्फबारी और बारिश के दौरान यात्रा करने से बचें. साथ ही, प्रशासन ने सभी को सुरक्षा उपायों का पालन करने की सलाह दी है ताकि इस तरह के हादसे से बचा जा सके.