भारत सहित दुनियाभर में साइबर क्राइम (Cyber crime) का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. आम लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए अपराधी तरह – तरह की तरकीबें खोजते रहते हैं. इन दिनों धोखाधड़ी के लिए एक नए तरीके डिजिटल हाउस अरेस्ट (Digital house arrest) का इस्तेमाल किया जा रहा है. रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के एक डेटा के मुताबिक साल 2023 में 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी हुई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि यह पूरा खेल कैसे रचा जाता है.
साइबर क्रिमिनल बेखबर लोगों को धोखा देने के लिए UPI, ओटीपी, क्रेडिट कार्ड, जॉब और डिलीवरी स्कैम जैसे कई तरह के तरीके अपनाते हैं. क्राइम को अंजाम देने वाले अपराधी डिजिटल हाउस अरेस्ट में पुलिस स्टेशन, सरकारी कार्यालय और ED जैसे नकली संस्थानों को स्थापित किया जाता है. खास तरह के ड्रेस कोड में देखने पर सब असली जैसा ही लगता है. इतना ही नहीं साइबर ठगी में क्रिमिनल पीड़ित को गिरफ्तार करने का ढोंग भी कर सकते हैं. लेकिन जब तक सामान्य आदमी को कुछ समझ में आता है तब तक वह अपने जीवन भर की कमाई डुबा चुके होते हैं.
एक रिसर्च के मुताबिक भारत साइबर अपराध के मामले में भारत 10वें पायदान पर है. इसमें एडवांस फीस पेमेंट से जुड़ी धोखाधड़ी सबसे आम क्राइम बतायी गई. एक्सपर्ट्स ने ‘वर्ल्ड साइबर क्राइम इंडेक्स’ जारी किया है. इसमें 100 देशों को शामिल किया गया है. टॉप पर रूस, दूसरे नंबर पर यूक्रेन और तीसरे पायदान पर चीन रहा. अमेरिका चौथे स्थान पर रहा. जानकारी के मुताबिक पिछले एक दशक में, भारतीय बैंकों ने धोखाधड़ी के 65,017 मामलों की सूचना दी है. जिसके कारण कुल 4.69 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.
नोएडा में दर्ज हुआ था पहला मामला
डिजिटल अरेस्ट का पहला मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा में दर्ज किया गया. यहां दिसंबर 2023 में एक व्यक्ति को काल्पनिक मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाया गया. क्रिमिनल्स ने खुद को CBI के IPS Officer और बंद हो चुकी Airline के संस्थापक के रूप में पेश किया. इस ठगी में पीड़ित को 11 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ. साथ ही उसे एक दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर प्रताड़ित भी किया गया. ऐसा ही एक मामला हाल में राजस्थान के जयपुर में बजाज नगर के रहने वाले एक व्यापारी के साथ हुआ.
झुंझुनूं में भी हो चुका है ऐसा केस
राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक महिला प्रोफेसर को साइबर ठगों ने 3 महीने तक ऑनलाइन मॉनिटरिंग में रखा था. इस दौरान महिला प्रोफेसर से हर 2 घंटे में रिपोर्ट मांगी गई कि, वो किन लोगों से मिल रही है और कहां जा रही है? ठगों ने जगह के वरिफिकेशन के लिए सेल्फी भी मांगी. महिला को आरोपियों ने डिजिटल वेरिफिकेशन के नाम पर धमकाया और पूरी प्रॉपर्टी अटैच करने की कहानी बना डाली. आरोपियों ने 3 महीने में महिला से अलग-अलग ट्रांजक्शन के जरिए 7.67 करोड़ रुपए ठग लिए. कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को TRAI का अधिकारी बताते हुए महिला को कहा कि, उनकी ID से जारी दूसरे मोबाइल नबंर का इस्तेमाल साइबर क्राइम में हो रहा है. इसके बाद कभी CBI, ED तो कभी मुंबई के पुलिस अधिकारी बनकर कॉल कर प्रोफेसर को डराते रहे.
कैसा होता है डिजिटल हाउस अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट में गिरफ्तारी का डर दिखाकर आपको घर में ही कैद कर दिया जाता है. अपराधी वीडियो कॉल कर अपना बैकग्राउंड किसी पुलिस स्टेशन की तरह दिखाते हैं. बैंक अकाउंट सीज कर गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है. इसके बाद ऐप डाउनलोड कराकर फर्जी डिजिटल फॉर्म भरवा कर पैसों का ट्रांजक्शन कराया जाता है.
सरकार कर रही प्रयास
साइबर क्राइम रोकने के लिए सरकार की कार्रवाई इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर यानी आईएससीसी और टेली कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट विदेशों से आने वाली फर्जी कॉल को रोकने के लिए साथ काम कर रहे हैं. अवेयरनेस बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म साइबरदोस्त और एक्स, इंस्टाग्राम, फेसबुक, पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो भी पोस्ट किए जा रहे हैं.
साइबर क्राइम से खुद को कैसे बचायें
साइबर क्राइम से बचने के लिए अनजान वीडियो कॉल रिसीव न करें, सावधानी बरतें. साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि, साइबर क्राइम में वॉट्सएप का इस्तेमाल दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. सोशल मीडिया ऐप और वॉट्सऐप पर हमें सतर्क रहना चाहिए. अगर वीडियो कॉल आए तो अपने कैमरे को हाथ से ढक कर बात करें व अपना चेहरा न दिखाएं. इंस्टाग्राम, फेसबुक प्रोफाइल को प्राइवेट रखें. अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करें. अधिकतर मसलों में साइबर ठग वारदात से पहले इन्हीं सोशल साइट से लोगों की जानकारी जुटाते हैं.
डिजिटल अरेस्ट की कोशिश को फेल कैसे करें
साइबर क्राइम, नारकोटिक्स, IT या ED अफसर के नाम से कॉल आएगा. आपकी वो गलती बताएंगे जो आपको पता न हो. आपको डिजिटल अरेस्ट करने की जानकारी देंगे. डिजिटल अरेस्ट में 24 घंटे सातों दिन एक कमरे में कैमरे के सामने रहना पड़ता है. डिजिटल अरेस्ट करने के लिए किसी को भी शिकार बनाया जा सकता है. जो लोग अपडेट नहीं रहते, उनके डिजिटल अरेस्ट होने का खतरा ज्यादा है. अगर डर लगे तो घरवालों से बात करें और नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाएं. कॉल करने वाले का बताया कोई ऐप डाउनलोड न करें.