संविदा कर्मचारियों के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण के लिए नए नियम बनाएं हैं. इस नियम के अनुसार अब कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड कर्मचारियों को नियमित (रेगुलर) होने के लिए एक लिखित परीक्षा देनी होगी. साथ ही न सिर्फ परीक्षा से गुजरना पड़ेगा बल्कि 50% अंकों को हासिल होगा. वहीं खबरों के मुताबिक मध्यप्रदेश सरकार यानी की भाजपा की मोहन सरकार के इस नए नियम के विरुद्ध प्रदेश के संविदाकर्मचारी मैदान में उतर आए हैं.
आइए समझते हैं, नए नियम क्या हैं?
- राज्य के अलग-अलग विभागों में काम कर रहे संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण के लिए अब परीक्षा ली जाएगी.
- उन्हें अपनी नौकरी के रेगुलर करने के लिए परीक्षा में शामिल होने के साथ-साथ उसमें कम से कम 50 प्रतिशत अंक भी हासिल करने होंगे. नियम के मुताबिक 50% अंक लाने पर ही कर्मचारियों को नियुक्ति मिलेगी.
- यदि संविदा कर्मचारियों के सभी पद 50% अंक लाने वालों में से नहीं भरे जा सके तो बांकी बचे पद कम अंक वालों को नहीं मिलेंगे.
- उदाहरण के तौर पर 20 पदों के लिए यदि 15 लोगों के ही अंक 50% से आए तो बचे हुए पदों पर 49% अंक वालों की नियुक्ति नहीं होगी यह पद सामान्य श्रेणी में बदलकर भर लिए जाएंगे.
- तृतीय श्रेणी के पदों पर संविदा कर्मचारियों की नियमितिकरण के लिए 300 अंकों की लिखित परीक्षा होगी.
- परीक्षा में समय तीन घंटे रहेगा. वहीं संविदाकर्मियों को नियुक्ति के लिए 300 में से 150 अंक लाना अनिवार्य है.
- कर्मचारियों की वरिष्ठता यानी एक्सपीरियंस के आधार पर उनकी नियुक्ति का निर्धारण नहीं होगा.
- सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी किए गए नियम के मुताबिक, अभी ढाई लाख संविदा कर्मियों की औसतन आयु 45 से 50 वर्ष के बीच है तो भर्ती के लिए प्रदेश के सभी 38 विभागों में संविदा कर्मचारियों को परीक्षा देनी होगी.
- सीधी भर्ती में संविदा कर्मियों के लिए 20% पद आरक्षित होंगे, यदि किसी विभाग में 100 पदों के लिए सीधी भर्ती होनी है तो उसमें से 20 पद संविदा कर्मियों के लिए आरक्षित होंगे.
- SC और ST कैंडिडेट्स को 10% अंकों की छूट रहेगी. यानी इन दोनों वर्गों के कैंडिडेट्स को इस परीक्षा में 40% ही अंक लाने होंगे.
- विक्रम पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार ध्यानचंद पुरस्कार, ओलंपिक खेलों में मेडल प्राप्त, एशियन गेम में मेडल प्राप्त कर्मचारियों को 10 नंबर अलग से दिए जाएंगे.
सरकार के नियमों का विरोध क्यों?
संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण के लिए बनाए गए नए नियमों पर बवाल मच चुका है. संविदा कर्मचारियों ने परीक्षा में 50% अंक कंपल्सरी होने पर नाराजगी जताते हुए नए नियम का विरोध किया है. संविदा कर्मचारियों का कहना है कि, अब उनकी पढ़ने की उम्र नहीं बची है. वो सब 15 से 20 सालों से काम कर रहे हैं. 40-45 साल की उम्र में पढ़ाई कर पाना उनके लिए मुश्किल है. कर्मचारियों का कहना है कि, पिछली नीति में संविदा कर्मचारियों को 50% आरक्षण देने की बात कही गई थी, लेकिन नए नियमों में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया है. अगर नए नियमों में संशोधन नहीं किया गया तो वे सड़कों पर उतर भी विरोध प्रदर्शन भी करेंगे.
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