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Toggleकोविड वैक्सीन और हार्ट अटैक: क्या है सच्चाई? ICMR की स्टडी ने क्या खुलासा किया?
कोविड वैक्सीन और हार्ट अटैक: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के एक संयुक्त अध्ययन में पाया गया कि देश में हृदयाघात से होने वाली अचानक मौतों का कोविड-19 वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं है. यह अध्ययन 18 से 45 वर्ष के युवाओं की अचानक मृत्यु पर केंद्रित था. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी पुष्टि की.
अध्ययन के प्रमुख बिंदु
- भारत में उपयोग की गई कोविड वैक्सीन (कोवैक्सिन और कोविशील्ड) सुरक्षित और प्रभावी हैं.
- गंभीर दुष्प्रभाव बहुत ही दुर्लभ मामलों में देखे गए हैं.
- अचानक मृत्यु के अन्य संभावित कारणों में आनुवंशिकी, जीवनशैली, पहले से मौजूद बीमारियाँ और कोविड के बाद की जटिलताएँ शामिल हैं.
कोविड वैक्सीन और भारत
भारत में दो प्रमुख कोविड वैक्सीन विकसित की गई थीं:
- कोवैक्सिन – भारत बायोटेक और ICMR द्वारा संयुक्त रूप से विकसित.
- कोविशील्ड – सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर आधारित.

ICMR-NCDC द्वारा किए गए अध्ययन
पहला अध्ययन: कोविड वैक्सीन और अचानक मृत्यु का जोखिम
आईसीएमआर के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (एनआईई) ने मई से अगस्त 2023 के बीच 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में शोध किया. इस अध्ययन में उन लोगों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जो स्वस्थ दिख रहे थे लेकिन अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच अचानक मृत्यु का शिकार हो गए. निष्कर्षों से पता चला कि कोविड वैक्सीन से अचानक मृत्यु का जोखिम नहीं बढ़ता.
दूसरा अध्ययन: युवाओं में अचानक मृत्यु का प्रमुख कारण
यह अध्ययन AIIMS और ICMR के सहयोग से किया जा रहा है. प्रारंभिक आँकड़ों से पता चला कि युवाओं में अचानक मृत्यु का प्रमुख कारण हृदयाघात (मायोकार्डियल इंफार्क्शन) है. शोधकर्ताओं ने पाया कि पिछले कुछ वर्षों में अचानक मृत्यु के कारणों के पैटर्न में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ है. अधिकांश मामलों में आनुवंशिक उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन) जिम्मेदार है. यह अध्ययन अभी जारी है और अंतिम परिणाम बाद में साझा किए जाएँगे.
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन और दुर्लभ दुष्प्रभाव
अप्रैल 2024 में ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना कि उनकी कोविड वैक्सीन (जिस पर भारत में कोविशील्ड बनी थी) से बहुत ही दुर्लभ मामलों में गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं. ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों के अनुसार, इस वैक्सीन से कुछ लोगों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) हो सकता है, जिसमें रक्त के थक्के बनने और प्लेटलेट्स की संख्या कम होने का जोखिम होता है.
आईसीएमआर-एनसीडीसी के अध्ययन ने पुष्टि की है कि भारत में कोविड-19 टीकों और अचानक हृदय संबंधी मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. हालाँकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोगों को नियमित स्वास्थ्य जाँच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने पर ध्यान देना चाहिए.