मध्य प्रदेश का विंध्य क्षेत्र अपनी प्राकृतिक संपदाओं के लिए मशहूर हैं. देश को मिलने वाले कोयले का 14 फ़ीसदी विंध्य क्षेत्र से जाता है. एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट विंध्य के पास है, कोयला है, सीमेंट है, लाइमस्टोन है, घने जंगल हैं. फिर भी प्रदेश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले गरीबी में विंध्य सबसे आगे है.
विंध्य क्षेत्र की अनुमानित आबादी एक करोड़ पंद्रह लाख है. 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत के 21.9 फ़ीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. वहीं, मध्य प्रदेश में 20.63 फ़ीसदी लोग ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं.
मध्यप्रदेश का हर पांचवा गरीब विंध्य से
विंध्य के सिंगरौली में 51.92 फ़ीसदी लोग गरीब हैं, सतना में 34.12 प्रतिशत और सीधी में 52.68 फीसदी. रीवा संभाग में 37.04 फीसदी लोग गरीब हैं, अनूपपुर में 41.70 फीसदी, शहडोल की 43.50 फीसदी, उमरिया की 45.60. यानी पूरे विंध्य में 44 फीसदी लोग गरीब हैं. यानी मध्यप्रदेश का हर पांचवा गरीब विंध्य क्षेत्र से है.
मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सों में हालात बेहतर
मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सों की हालत इससे बेहतर है. मालवा में NSSO के 2011 के आंकड़े के हिसाब से गरीबी दर 32 फीसदी है और महाकौशल के 6 जिलों को मिलाकर गरीबी का प्रतिशत 36 फीसदी के करीब है.
ग़रीबी से परेशान रीवा के निराला नगर में रहने वाली अर्चना बंसल ने विंध्य फ़र्स्ट से ख़ास बात-चीत में बताया कि कबाड़ से केवल इतनी ही कमाई होती है कि एक वक़्त का खाना मिल जाए, दूसरे वक़्त की रोटी बच्चों को नसीब ही नहीं होती है.
वहीं, बोड़ई बंसल ने बताया कि उनके पास रहने को घर भी नहीं है. अपने परिवार के साथ सड़क किनारे झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.
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