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क्या रीवा में बन पाएगा क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ?

क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल रीवा

रीवा में 50 बेड का क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल बनाया जा रहा है लेकिन सबसे पहले जानते हैं कि आखिर क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल क्या है ? और लोगों के लिए क्यों इतना जरूरी है.  

क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल एक प्रकार का विशेष चिकित्सा संस्थान है. जहां पर चिकित्सा संबंधी पुरानी एवं गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों का उचित इलाज किया जाता है. जिनके जीवन को खतरा होता है जैसे हृदय रोग, कैंसर, गंभीर श्वसन रोग, और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल में होता है. इन मरीजों को नई टेक्नोलॉजी वाले विशेष उपकरणों और दवाई से लगातार देखरेख में रखा जाता है.

इन मरीजों के इलाज के लिए स्पेशल डॉक्टर और क्रिटिकल केयर नर्स असाइन किए जाते हैं. जो इस तरह के मरीजों की देखभाल करने में एक्सपर्ट होते हैं. क्रिटिकल केयर अस्पतालों को पोस्ट-एक्यूट केयर प्रदाता माना जाता है. यहां पर मरीजों को उचित देखभाल के साथ सभी प्रकार के सुरक्षित वातावरण भी उपलब्ध कराए जाते हैं.

हर जिले में जिला अस्पताल जरूर होते हैं. जिनमें मरीजों के अल्पकालिक इलाज तो होते हैं. लेकिन जब भी किसी को कोई बड़ी या गम्भीर बीमारियां हो जाती हैं. तब उनका जिला अस्पताल उचित इलाज संभव नहीं हो पाता और फिर उन्हे क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल में भेजा जाता है.

इस वजह से हर शहर में एक क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल का होना बेहद जरूरी है. जिला अस्पताल के अलावा अगर हर जिले में या संभाग में एक आधुनिक तकनीकि से भरपूर क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल रहता है तो बड़ी से बड़ी बीमारी के लिए मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़ता और आसानी से उन्हे बचाया भी जा सकता है. क्योंकि क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल को सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से भरपूर बनाया ही जाता है. यहां पर बड़ी-बड़ी बीमारियों के निदान और स्थिरीकरण के लिए सेवाओं की एक विशेष श्रृंखला होती है. क्रिटिकल केयर अस्पतालों को पोस्ट-एक्यूट केयर प्रदाता माना जाता है. यहां पर मरीजों को उचित देखभाल के साथ सभी प्रकार के सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराए जाते हैं.

जिस तरह से तमाम अखबारों में रीवा जिले के संजय गांधी अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था डामाडोल बताई जाती है. तमाम तरह की सुविधाएं होने के बाद भी यहां के पेसेंट दूसरे शहरों में इलाज के लिए जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां कभी डॉक्टर्स नहीं होते तो कभी मशीनें ही खराब हो जाती हैं. जिसके कारण सही ढंग से पेसेंट को उपचार नहीं मिल पाता है. इन्ही तमाम स्थितियों को देखते हुए रीवा में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल बनाने का निर्णय लिया गया. लेकिन दुर्भाग्य है कि यह महज कागजों तक ही सीमित रह गया.

सवाल सबसे बड़ा ये उठता है कि इतनी बड़ी आबादी के लिए आज तक विंध्य क्षेत्र में एक भी एडवांस हॉस्पिटल नहीं है. प्राइवेट हॉस्पिटलों की फीस इतनी ज्यादा है कि लोग वहां इलाज करवाने नहीं जा पाते हैं. कैसे भी करके रीवा में 50 बेड का क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल मंजूर हुआ और लगभग 1 करोड़ का काम हो भी गया.

लेकिन फिर हॉस्पिटल के एडीजीएम वहां का निरीक्षण किए.  फिर बिना किसी अपडेट के ठेकेदार को आदेश दे दिए कि काम रोक दिया जाए. ऐसे में अचानक हॉस्पिटल का काम बंद हो जाना लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है. अभी तक ये भी पता नहीं कि यहां काम कब तक में शुरू हो जाएगा. इसके बारे में भी अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है. 

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