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नहरों का जाल तो बिछ गया, लेकिन पानी बिना खेतों में ही सूख गई धान की फसल

किसानों के सामने हर समय कोई न कोई बड़ी समस्या चुनौती बनकर खड़ी रहती है. रीवा जिले के दर्जनों गांव में नहर तो है, लेकिन पानी अभी तक नहीं छोड़ा गया है. जिसके कारण किसानों को गेहूं का पलेवा देने में काफी संकट का सामना करना पड़ रहा है. नहर में पानी न होने के कारण जल का स्तर भी काफी नीचे चला गया है. इस वजह से ट्यूबवेल व मोटर पंप तक ठीक से नहीं चल पा रहे हैं. पानी के इंतजार में हजारों हेक्टेयर के खेतों की बोनी प्रभावित हो रही है.    

इस समस्या को लेकर किसानों ने कई बार शासन-प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपे, लेकिन आज तक इस समस्या का कोई भी निराकरण नहीं हुआ. इसी कड़ी में पिछले दिनों गोरगांव के कुछ किसानों ने सूखी नहर के सामने खड़े होकर फोटों भी खिंचवाई और वीडियो के माध्यम से भी शासन को संदेश दिए. उसके बावजूद किसानों को केवल झूठा आश्वासन दे दिया जाता है, कि जल्द ही नहर में पानी छोड़ दिया जाएगा. लेकिन ये आश्वासन मात्र कागजों पर ही सीमित रह जाता है.

किसानों का साफ तौर पर कहना है कि अगर समय रहते पानी नहर में नहीं छोड़ा गया तो किसान इस बार के विधानसभा चुनाव में वोट डालने नहीं जाएंगे.

इस समस्या से जो गांव पीड़ित हैं उनमें से बरेही, बुढ़वा, व्यवहरा, पुरबा, पड़रिया, नरर्हा, गोरगांव, झांझर, शिवपुरवा आदि गांव शामिल हैं, यहां से नहर तो गई है लेकिन पानी नहीं छोड़ा गया. वैसे भी गुढ़ विधानसभा का रायपुर कर्चुलियान क्षेत्र इस वर्ष सूखे की चपेट में आ गया है.

विंध्य फर्स्ट की टीम इस बात की पुष्टी करने के लिए बरेही गांव पहुंची. जहां किसानों का कहना है कि सियारी की फसल में धान पूरी तरह से सूख ही गई है, जिसे मुरेला के रूप में काटा गया और अब हजारों हेक्टेयर खेत परती पड़े हुए हैं. नहर में पानी न होने के कारण किसान खेत में पलेवा नहीं लगा पा रहें हैं, स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि इस क्षेत्र में पीने के पानी तक की किल्लत मची है.

किसान जुलाई में कर्ज लेकर किसी कदर धान की बोनी तो किए, लेकिन धान पक ही नहीं पाई और खेत में ही सूख गई. अब अगर नहर में पानी नहीं छोड़ा गया तो उनहारी की फसल बिना पानी के खेत में उगाई नहीं जा सकती है. लेकिन शासन-प्रशासन का इस ओर बिल्कुल ही ध्यान नहीं जा रहा है. 

अगर खेतों की सिचाई नहीं होगी तो फसलें पूरी तरह से सूख जाएंगी और किसान भूखों मरने की स्थिति में आ जाएंगे. फिर आत्महत्या जैसी वारदात करने पर मजबूर हो जाएंगे.

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