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Sidhi Singrauli Railway Land Scam: जमीन का एक टुकड़ा सांसद के 8 रिश्तेदारों के नाम

ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन में मुआवजे के नाम पर भ्रष्टाचार की खबरें सामने आ रही हैं. इस रेल लाइन के लिए साल 1997-98 में केन्द्र सरकार ने प्रस्ताव पास किया था. लेकिन फंड की कमी के चलते ये प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. साल 2016 में रेल मंत्री रहे सुरेश प्रभू ने 6,672 करोड़ रुपये इस प्रोजेक्ट के लिए दिए और सीधी रेलवे स्टेशन की नीव भी रखी. इसबात को भी 8 साल बीत गए लेकिन अब तक सीधी रेलवे स्टेशन का काम भी पूरा नहीं हुआ.

26 साल से लोगों को जिस रेल लाइन का इंतजार था, नेताओं, अधिकारियों और भू-माफियाओं के गठजोड़ ने सीधी-सिंगरौली के  बीच  इसके रुट बदलवा दिया. ये बदलाव किसी आबादी के फायदे के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए किया गया. यहां जमीन के बदले मिलने वाले मुआवजे का खेल शुरू हो चुका था. इस रेलवे लाइन का बजट 8900 करोड़ हो गया है और इसमें 300 करोड़ के घोटाले की बात सामने आ रही है.

मुआवजे की इस लूट का प्रमाण मिला एक अगस्त 2019 को लिखा गया सीधी कलेक्टर के पत्र में. सीधी कलेक्टर अभिषेक सिंह ने पश्चिम मध्य रेलवे के उप-मुख्य अभियंता को पत्र भेजा. जिसमें कलेक्टर ने लिखा, ‘भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद केवल राशि बढ़ाने और नौकरी पाने के लिए षड़यंत्र के करते हुए जमीनों के बहुत छोटे टुकड़े किए गए. इस तरह से मुआवजा की राशि कई गुना बढ़ गई. रातों-रात टीन शेड डालकर मकानों के ऐसे ढांचे खड़े कर दिए गए जिसमें इंसान तो क्या जानवर तक नहीं रह सकता. ऐसे एक मकान का मुआवजा 2.5 करोड़ दिया गया.’  कलेक्टर ने अपनी जांच में पाया कि मुआवजे की इस लूट में स्थानीय और रेलवे के अधिकारी शामिल थे.

सिंगरौली जिले में सीधी सांसद रीति पाठक के रिश्तेदारों पर भी मुआवजे की मलाई लूटने का आरोप है. 15 दिसंबर 2020 को सिंगरौली कलेक्टर अरुण परमार ने अचानक एक आदेश निकाला. जिसमें बताया गया कि रीति पाठक के मामा की जमीन खसरा नंबर 341 पिछले, यानी 2017 के दौरान टाइपिंग की गलती के चलते शामिल नहीं हो सका था. इसे नए आदेश से तीन साल बाद 2020 में शामिल किया गया. 

साल 2020 में यह 0.44 एकड़ जमीन केवल महेंद्र प्रसाद यानी रीति पाठक के मामा के नाम की थी, लेकिन 23 दिसंबर, 2022 को जारी अगली अधिसूचना में इस जमीन को आठ अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया और जमीन का मालिकाना हक भी 8 लोगों के पास चला गया. 

  • जमीन का पहला हिस्सा महेंद्र प्रसाद यानी रीति पाठक के मामा के नाम है
  • दूसरा हिस्सा महेंद्र सिंह की पत्नी यानी  रीति पाठक की मामी का है
  • तीसरा हिस्सा हरीश देव पांडे की पत्नी शिवकली देवी यानी रीति पाठक की चाची का है
  • चौथा हिस्सा हरीश देव पांडे के बेटे मनीष देव यानी रीति पाठक के चचेरे भाई का है
  • पांचवा हिस्सा प्रीति पाठक यानी रीति पाठक की बहन का है
  • छठवां हिस्सा अनूपदेव पांडे यानी रीति पाठक के भाई का है
  • सातवां हिस्सा अनूपदेव पांडे की पत्नी सुधा यानी रीति पाठक की भाभी का है
  • आठवां हिस्सा दीपदेव पांडे यानी रीति पाठक के कजिन का है

सीधी के विधायक केदारनाथ शुक्ला ने भी रीति पाठक पर आरोप लगाते हुए कहा कि जहां से रेलवे लाइन निकल रही है, वहां या तो सांसद जी की जमीन है या फिर उनके रिश्तेदारों की. 

चुरहट से कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह का कहना है कि इस रेल लाइन की वजह से कई नेताओं की किस्मत खुल गई है. लेकिन रेलवे ट्रैक कहीं नजर नहीं आ रहा है. यहां केवल यही विकास हुआ है कि जमीनें खरीदी गईं, अधिग्रहण हुआ अब उन्ही पैसों से चुनाव लड़ रहे हैं. 

रीति पाठक ने आरोप खारिज करते हुए कहा है कि जिसे भी ऐसा लगता है उसे मेरी खुली चुनौती है, वो आरटीआई का इस्तेमाल कर सारी जानकारी ले सकता है.

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