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लाखों करोड़ के कर्ज में डूबी मध्यप्रदेश सरकार, दूसरे राज्यों में बेचेगी प्रॉपर्टी!

मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) 3 लाख 73 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी है. मोहन सरकार अब इस कर्ज से उबरने की कोशिश में जुटी हुई है. इसके लिए देश के दूसरे राज्यों (Other States) में मौजूद मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की संपत्तियों को बेचने और किराए (Sold Rent) पर देने की तैयारी कर रही है. finance department ने सभी विभागों को letter लिखकर जानकारी मांगी है. लेटर में पूछा गया है कि, किस राज्य में कितनी प्रॉपर्टी किस रूप में है, उसकी कीमत (Prise) क्या है? अगर किसी Property का कोर्ट में केस चल रहा है, किसी तरह का विवाद है तो इसकी भी जानकारी 22 मई तक दी जाए.

मीडिया रिपोर्ट की माने तो इसका मकसद मध्यप्रदेश के बाहर मौजूद अलग-अलग विभागों की संपत्ति का आंकड़ा जुटाना है. जिससे इन संपत्तियों को बेचा जा सके या किराये पर दिया जाए. धन जुटाने के लिए बजट की तैयारियों में जुटे वित्त विभाग ने प्रदेश के बाहर चल-अचल संपत्ति के रूप में मौजूद संपत्ति का ब्यौरा सभी विभागों से मांगा है. बित्त विभाग के Chief Secretary ने सभी विभागों के chief secretary, additional chief Secretary और secretaries को लिखे लेटर में कहा- प्रदेश के बाहर मौजूद संपत्तियों की समीक्षा जल्द मुख्य सचिव वीरा राणा करेंगी. वित्त विभाग के निर्देश के बाद अब विभाग प्रमुख प्रदेश के बाहर मौजूद प्रॉपर्टी के रिकार्ड तैयार कराने में जुट गए हैं.

इन राज्यों में है सबसे अधिक संपत्ति
दूसरी तरफ प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि, मध्यप्रदेश के अलग-अलग विभागों से संबंधित संपत्ति 10 से 12 राज्यों में है. जिसमें सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग से है. ये प्रॉपर्टी गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, साउथ इंडिया के राज्य, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में है. प्रदेश में हाज़िर धार्मिक संस्थानों के अधीन ये प्रॉपर्टी है जिसमें कई मसलों पर कोर्ट में केस भी चल रहे हैं. इसके साथ रजवाड़ों के दौर में राजाओं के अधीन रहने वाली संपत्ति जो अब सरकारी हो चुकी है वो भी दूसरे राज्यों में है.

अब आपको जानकार हैरानी नहीं होगी कि, मध्यप्रदेश की दूसरे राज्यों में एक लाख करोड़ से अधिक की संपत्ति है. इसमें से अकेले 50 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति केवल मुंबई में है. finance department के instruction के मुताबिक़ हर department अपने से जुड़ी उस परिसंपत्ति की जानकारी देगा जो मध्यप्रदेश के बाहर मौजूद है. मध्यप्रदेश के दूसरे राज्यों में लगभग 450 संपत्तियां हैं. सबसे ज्यादा संपत्ति मुंबई में है. 365 एकड़ जमीन मुंबई के ठाणे में है. इसमें से 90 एकड़ ज़मीन एयरफोर्स ने अधिगृहित कर ली है.

एमपी की जमीन में होती है कॉफी की खेती
मध्यप्रदेश की 550 एकड़ जमीन केरल के वायनाड में है. यहां कॉफी की खेती की जा रही है. इसके मालिकाना हक को लेकर केरल और मध्यप्रदेश के बीच विवाद था, लेकिन अब बातचीत के बाद समजौता कर सुलझा लिया गया है. मध्यप्रदेश की ओर से 1950 से इस जमीन को लीज पर दिया जाता रहा, जिस पर लीज धारक ने कब्जा जमा लिया था. 1977 में शीर्ष न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट ने मप्र. के हक में फैसला दिया. नागपुर और झांसी में मप्र सड़क परिवहन निगम की जमीनें हैं. नागपुर में 3 एकड़ की कीमत 150 करोड़ रुपए लगाई गई है, जबकि झांसी की जमीन पर कब्जा है.

कर्ज में डूबा मध्यप्रदेश
चुनावी घोषणाओं और मुफ्त की रेवड़ी बांटनें के चक्कर में मध्यप्रदेश कर्ज में इतना डूबा कि नई सरकार का स्वागत खाली खजानें से हुआ. साल दर साल यह कर्ज बढ़ता ही गया है. 2020 में प्रदेश पर कुल कर्ज था 2.20 लाख करोड़ रूपए,2022 में 2.83 लाख करोड़ रूपए  का कर्ज था और 2023-24 में ये बढ़कर 3.73 लाख करोड़ हो गया. 2013-14 में हर व्यक्ति पर 10,896 रूपये का कर्ज था.2016 में हर व्यक्ति पर 13,853 रूपये का कर्ज था,2017 में ये 21000 हो गया.आज की तारीख में प्रदेश में हर व्यक्ति पर 47000 रूपये का कर्ज है. पिछले साल आरबीआई की एक रिपोर्ट आई थी जिसमे कहा गया था कि राज्य सरकारें मुफ्त की योजनाओं पर जमकर खर्च कर रही हैं जिससे वो कर्ज के जाल में फंस रही हैं.

मध्यप्रदेश में मिनरल, नेचुरल रिसोर्सेस प्रचुर मात्रा में हैं. देश के फॉरेस्ट कवर का कुल 12 फीसदी हिस्सा मध्यप्रदेश में है लेकिन मध्य प्रदेश बीमारू राज्यों में गिना जाता है. मध्य प्रदेश की एक तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे रहती है. किसानों की आत्महत्या के मामले में प्रदेश अव्वल है. राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की जगह लगातार लिए जा रहे इस कर्ज के कारण राज्य की स्थिति और भी ज्यादा खराब होती जा रही है.