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EXCLUSIVE: बीजेपी विधायक के इशारे पर सरपंच से बर्बरता, कहीं से नहीं मिली न्याय की आस

सीधी जिले की चुरहट विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक शरदेंदु तिवारी की दबंगई का मामला सामने आया है. मड़वा गांव के सरपंच सुरेश कुमार चौधरी का आरोप है कि विधायक के इशारे पर स्थानीय पुलिस ने उनके साथ मारपीट की. अनुसूचित जाति से आने वाले सुरेश के खिलाफ तत्कालीन चौकी प्रभारी धर्मेंद्र राजपूत ने जातिसूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया. 

हरिजन सरपंच से बर्बरता का ये मामला इस साल सात मई का है. सुरेश के गांव में दो परिवार के बीच आपसी विवाद हुआ जिसके बाद पुलिस 100 डायल पर शिकायत करने वाले राजीव कुमार जायसवाल और संदीप जायसवाल को थाने ले गई. इनकी मां सरपंच के पास मदद मांगने पहुंची और बताया कि गांव के बाबूलाल ने शराब के नशे में उनके पति के साथ झगड़ा किया और जब बेटों ने पुलिस को बुलाया तो पुलिस उन्हें ही अपने साथ थाने ले गई. संदीप और राजीव की मां ने सरपंच से बेटों के छुड़ाने के लिए साथ में थाने चलने के लिए भी कहा.

सरपंच सुरेश कुमार चौधरी सेमरिया चौकी पहुंचे और प्रभारी धर्मेंद्र सिंह राजपूत से पूछा कि इन्हे किस जुर्म में यहां लाया गया है? ये सुनते ही चौकी प्रभारी भड़क गए और सुरेश के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि चौकी मुझे चलाने दो, अपने ग्राम पंचायत में जााकर सरपंची करो. इतना ही नहीं चौकी प्रभारी ने आठ लोगों के साथ मिलकर सुरेश के साथ मार-पीट भी की. सुरेश का कहना है कि ये किसी जानलेवा हमले से कम नहीं था. जब सुरेश ने पूछा किस गुनाह के लिए मुझे पीट रहे हो तो जवाब मिला कि विधायक के खिलाफ जाओगे? विधायक का मुकाबला करोगे? विधायक से ऊपर हो क्या? हमारे सामने कुर्सी में कैसे बैठ सकते हो?

सुरेश को बुरी तरह से पीटने के बाद पुलिस ने सीधी ले जाकर फर्जी मेडिकल भी करवाया. बुरी तरह घायल होने के बाद भी क्लीनिक के डॉक्टर ने रिपोर्ट बनाई कि शरीर में कोई चोट के निशान नहीं हैं. मेडिकल के बाद सुरेश को तहसील में पेश किया गया, इसके बाद पड़रा जेल ले जाया गया. वहां जेलर ने चोट देखकर सुरेश को वहां रखने से मना कर दिया. 24 घंटे जेल में रखने के बाद सुरेश को छोड़ दिया गया.

सुरेश चौधरी ने इस अत्याचार की शिकायत सीधी एसपी से लेकर राष्ट्रपति तक की है. लेकिन कहीं से उन्हें न्याय नहीं मिला. सुरेश को जेल में क्यों रखा गया उसकी प्रतियां सूचना का अधिकार के माध्यम से भी उन्हें नहीं मिलीं. सुरेश की मांग है कि इन सभी पुलिस वालों के खिलाफ हरिजन एक्ट के तहत कारवाई की जाए और पुलिस की नौकरी से बरखास्त किया जाए. 

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