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Media Scan : 30 अक्टूबर की प्रमुख खबरों में है विंध्य की 30 सीटों में कांग्रेस और भाजपा की दावेदारी और क्षेत्र में स्वास्थ्य की खराब स्थिति

प्रदेश में चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है. ऐसे में विंध्य क्षेत्र की 30 सीटों में भाजपा कांग्रेस के बीच कांटे का संघर्ष है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को विंध्य की कुल 30 सीटों में से सर्वाधिक 24 सीटें मिली थी जबकि कांग्रेस 6 सीटों में सिमट कर रह गई थी. चुरहट से विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल और अमरपाटन से विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ राजेंद्र कुमार को पराजय का सामना करना पड़ा था. रीवा जिले की सभी 8 सीटों पर भाजपा अपना परचम लहराने में कामयाब हो गई थी.

विंध्य क्षेत्र में स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में हमने पहले भी आपको अवगत कराया है. अब कुछ नए मामले सामने आ रहे हैं. मानपुर मनिकवार का मामला है. यहां आयुष केंद्र तो खुल गया है लेकिन यहां कौन पदस्थ है इसका दूर-दूर तक कोई पता नहीं है. दीवारों पर जो लोग सेवा मुक्त हुए हैं उनका संपर्क नंबर और नाम दर्ज हैं. यहां पहुंचने पर जब पदस्थ चिकित्सक को फोन लगाया गया तो उन्होंने बताया कि वह फील्ड पर हैं. इलाज या दवा लेना है तो फोन करके आएं. जब भी पूछा जाता है कि वह कहां है तो फील्ड पर रहने की जानकारी दी जाती है.

नई गढ़ी में चिकित्सक नही हैं और झोलाछाप डॉक्टर अपने मेडिकल स्टोर खोलकर इलाज का काम कर रहे हैं.इस धंधे के फलने फूलने का कारण स्वास्थ्य सेवाओं की कमी माना जा रहा है. झोलाछाप डॉक्टरों का नशे के कारोबार में भी हाथ रहता है और यह लोगों को नकली दवाई देकर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

जिला अस्पताल कुशाभाऊ ठाकरे में रात में डॉक्टरों की रोस्टर ड्यूटी लगाई जाती है लेकिन वह गायब हो जाते हैं.इस वजह से ड्राइवर यहां ब्लड बैंक चलाता है. अस्पताल करोड़ों की कीमत लगाकर बनाया गया और करोड़ों रुपए की मशीनें भी फिट की गई लेकिन इसका मरीजों को कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है. दिन में तो हालात कुछ ठीक रहते हैं लेकिन रात में डॉक्टर रहते ही नही हैं. ब्लड बैंक में अधिकारियों और डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है लेकिन यहां ब्लड बैंक ड्राइवर चलाता है. डिलीवरी तक का काम यहां पर नहीं हो पा रहा है जबकि यहां डॉक्टरों की संख्या बहुत है. गर्भवती महिलाओं का सीजर और डिलीवरी कराया ही नहीं जाता, सभी को संजय गांधी अस्पताल रेफर कर देते हैं जिस वजह से अस्पताल पर बहुत ज्यादा बोझ पड़ जाता है.

नई गढ़ी में एक ऐसा क्षेत्र है जहां जल जीवन मिशन की आज तक बुनियाद नहीं पड़ी है. सरकार की नल जल योजना, जल जीवन मिशन जैसी बड़ी-बड़ी योजनाएं यहां से नदारद हैं. लोग एक झरने पर निर्भर हैं 100 लोगों के बीच मात्र चार हैंडपंप है वह भी सही से काम नहीं करते. गर्मी के मौसम में ही नहीं हर मौसम में यहां के लोगों को पानी लेने के लिए दूर तक जाना पड़ता है.

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