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घोषणाओं का कर्ज चुकाएगा कौन?

विधानसभा चुनाव के लिए घोषणाओं

विधानसभा चुनाव 2023 की तारीख़  मध्यप्रदेश में जैसे ही नज़दीक आ रही है सभी राजनैतिक दल की तैयारी में पैनापन भी देखने को मिल रहा है. मध्यप्रदेश में एक राजनैतिक दल ऐसा भी है जिसने पहले से ही विधानसभा चुनाव के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा रखी थी.

सत्ता धारी दल के मुखिया शिवराज सिंह चौहान  घोषणा तो बहुत कर चुके हैं पर यह योजना कब तक पूरी होंगी या पूर्णतः लागू होंगी यह जनता को नहीं बताया गया है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई  घोषणाओं के लिए  मध्यप्रदेश सरकार ने कर्ज का बड़ा बोझ भी उठा लिया है.

विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो चुकी हैं  लेकिन इसके लागू होने के पहले ही  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  14 हजार से ज्यादा विकास कार्यों का भूमिपूजन और शिलान्यास कर चुके हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 में मध्यप्रदेश सरकार ने 55 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज उठा लिया है.

कर्ज का यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 6% से अधिक है यहां बड़ा सवाल यह है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो कर्ज लिया जा रहा है उसे  चुकाएगा कौन.प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लगने वाले विभिन्न टैक्स  के माध्यम से इस कर्ज को जनता को ही चुकाना पड़ेगा.

किसी  प्रदेश की सरकार का बजट घाटा जब बढ़ जाता है तो उस राज्य को मजबूरी में कर्ज लेना पड़ता है. जब सरकार के ऊपर कर्ज होता है तो ऐसे में  राज्य की कमाई का एक बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने  में चला जाता है.

मध्यप्रदेश राज्य की  कुल जीडीपी का लगभग 29 प्रतिशत कर्ज है, यह एक तिहाई से ज्यादा का आंकड़ा है.   मध्यप्रदेश के हर नागरिक के ऊपर साल 2022-23 में 47 हजार रुपए का कर्ज था  इस कर्ज के बढ़ने की दर  हर पांच साल में दोगुनी है.

कर्ज की बढ़ती  गति से पता चलता है कि मध्यप्रदेश के निवासी जब  2028-29  पहुंचेगे  तब तक सभी के ऊपर लगभग  एक लाख रुपए का ऐसा कर्ज होगा जो किसी ने कभी स्वयं लिया ही नहीं था.

यह कर्ज का बोझ क्यों बढ़ाया जा रहा है, इस विषय पर विंध्य फर्स्ट का विशेष कार्यक्रम अपनापंचे इस चर्चा में शामिल रहे संतोष अग्रवाल, नीतेश नारायण पूरा विवरण देखने के लिए वीडियो पर क्लिक करें