जब चुनाव करीब आते हैं तो सभी पार्टियों को जनता की याद सताने लगती है. बेहतर अस्पताल, स्कूल, कॉलेज के लिए घोषणाएं होने लगती हैं. बड़े-बड़े अस्पताल बन भी जाते हैं लेकिन इन अस्पतालों की व्यवस्था को पार्टियां अपने पुराने घोषणा पत्र की तरह भूल जाती हैं. मरीज इलाज के लिए यहां से वहां भटकते रहते हैं.
कुछ ऐसा ही हाल है विंध्य के सीधी जिले के सरकारी अस्पताल का. कागजों के आधार पर यहां कुल 31 डॉक्टर्स हैं. जिनमें मेडिकल ऑफिसर और नोडल ऑफिसर मिलाकर कुल 20 डॉक्टर्स हैं. इसके बाद डेंटल सर्जन में कुल 4 डॉक्टर्स हैं, तो वहीं N.H.M मेडिकल ऑफिसर में कुल 7 डॉक्टर्स हैं.
जुलाई 2023 में देश के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में बताया कि देश के हर 834 नागरिकों पर एक डॉक्टर उपलब्ध है. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ के मानकों से भी बेहतर है. WHO के मुताबिक एक डॉक्टर पर एक हजार से अधिक जनसंख्या से ज्यादा का भार नहीं होना चाहिए.
census के मुताबिक 2023 यानी इस साल सीधी की आबादी 13 लाख 97 हजार है. इस आबादी के लिए जिला अस्पताल सीधी में 31 डॉक्टर पोस्टेड हैं. यानी एक डॉक्टर पर 45 हजार 64 लोगों का भार है. मेडिकल काउंसिल की मार्च 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में हर 16 हजार नौ सौ छियान्वे जनसंख्या पर एक डॉक्टर था. देश में यह औसत 11 हजार 82 है.
जिला अस्पताल का हाल देखने के लिए विंध्य फर्स्ट की टीम वहां पहुंची तो डॉक्टरों के केबिन के बाहर लंबी लाइन लगी थी. घंटों से लोग डॉक्टर के इंतजार में बैठे थे. पूरे हॉस्पिटल में केवल 1 डॉक्टर और 2 नर्स नजर आईं. साफ-सफाई के किसी भी पैमाने के आस-पास भी नहीं है ये जिला अस्पताल. पूरे अस्पताल में एक बोर्ड हर जगह नजर आया कि आप भगवान की नजर में हैं.
सीधी की सांसद रीति पाठक ने बड़े गर्व के साथ बताया कि सीधी, सिंगरौली, रीवा, सतना में मेडिकल कॉलेज हैं. ऐसा कहीं होता है कि एक ही संभाग के चार जिले में मेडिकल कॉलेज हो.
सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला ने कहा कि जब वो मेडिकल कॉलेज की मांग करने शिवराज सिंह के पास पहुंचे थे तो सीएम उनकी तरफ देखते ही रह गए थे.