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असली और नकली खरबूज में अंतर जानना है जरूरी, सिर दर्द और गैस की हो सकती है समस्या

गर्मियों के मौसम के साथ ही खरबूज लोगों की पहली पसंद बन जाता है. ऐसे में खरबूज खाने वालों को असली और नकली में अंतर पता होना जरूरी है. खरबूज की मिठास जहां एक ओर शरीर को गर्मी से राहत देती है वहीं नकली यानी केमिकल युक्त खरबूज खाने से आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है. लेकिन अगर वही खरबूज नेचुरल तरीके से पका हुआ है तो वह आपके स्वास्थ के लिए भरपूर फायदेमंद साबित होगा.

खरबूजा में पानी के साथ-साथ कई सारे विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं. इसमें पोटेशियम भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो हार्ट के लिए काफी लाभदायक है. पोटेशियम न केवल रक्तचाप को संतुलित करने में सहायक होता है बल्कि यह सोडियम के नकारात्मक प्रभावों को भी नियंत्रित करता है.

कैसे करें असली खरबूज की पहचान
प्राकृतिक रूप से पके हुए खरबूज की एक बेसिक पहचान होती है कि इन खरबूजों में सफेद निशान के हल्के दाग होते हैं. यह खरबूज खाने में भी काफी मीठे होते हैं. साथ ही यह खरबूज स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभप्रद होते हैं. प्राकृतिक रूप से पके हुए खरबूजे ज्यादा समय तक ताजा रहते हैं और जल्दी खराब भी नहीं होते हैं.

केमिकल वाले खरबूज की पहचान
खरबूजों की मांग गर्मियों में काफी बढ़ जाती है. आपूर्ती बनाए रखने के लिए कई बार खरबूजों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड जैसे केमिकल और इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह के खरबूजे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो होते ही हैं साथ ही इनमें स्वाद भी नहीं होता है. केमिकल वाले खरबूज अंदर से खोखले होते हैं और काटने पर जल्दी ही खराब होने लगते हैं.  

इन बीमारियों का बढ़ता है खतरा
खरबूज को जल्दी पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कैल्शियम कार्बाइड जैसे केमिकल नमी के संपर्क में आने पर एथिलीन गैस छोड़ते हैं. यह गैस पेट में गैस की समस्या, सिर दर्द और त्वचा पर रैशेज उत्पन्न कर सकती है. इस तरह के खरबूजे का लंबे समय तक सेवन कैंसर, थायराइड जैसी जानलेवा बीमारियों की वजह बनता है.