रीवा जिले में हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस बीमारी के इलाज में आवश्यक फैक्टर 9 इंजेक्शन की अनुपलब्धता ने मरीजों और उनके परिजनों की चिंता और बढ़ा दी है. ताजा मामला संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय से सामने आया है, जहां एक मरीज को इंजेक्शन न मिलने के कारण इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
परिजनों के अनुसार, डॉक्टरों ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि अस्पताल में फैक्टर 9 इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है और इलाज के लिए इसे बाहर से खरीदना होगा. वहीं मरीज के परिजन बीते दो दिनों से इलाज के लिए भटक रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है.
क्या है हीमोफीलिया?
पैतृक रक्तस्त्राव या हीमोफीलिया एक अनुवांशिक विकार है जो आमतौर पर पुरुषों को होता है और औरतों द्वारा फैलता है. हीमोफीलिया एक अनुवांशिक रोग है. जिससे शरीर से बाहर बहता हुआ ऱक्त जमता नहीं है. इसके लिए फैक्टर 9 इंजेक्शन हीमोफीलिया-बी बीमारी में खून का थक्का जमाने में मदद करता है, और इसकी अनुपस्थिति मरीज की जान के लिए खतरा बन सकती है. ये हाल केवल संजय गांधी अस्पताल का नहीं बल्कि जिले के कई सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन लंबे समय से स्टॉक से बाहर है.
अस्पताल प्रबंधन का दावा
हालांकि संजय गांधी अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि “जरूरत पड़ने पर इंजेक्शन उपलब्ध हो जाता है”, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. कभी कभार जरूरत पड़ने पर सतना से इंजेक्शन मंगाया जाता है. लेकिन ज्यादातर मरीजों को हीमोफीलिया का इंजेक्शन बाहर से ही लाना पड़ता है. जिससे इलाज में देरी हो जाती है.
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि फैक्टर 9 इंजेक्शन की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करे ताकि हीमोफीलिया मरीजों को समय पर इलाज मिल सके और उनकी जान बचाई जा सके.