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नए ट्रांसफॉर्मर को तरस रहे किसान, खेती हुई ठप्प, चुनाव का वादा भूले सांसद और विधायक

रीवा जिले के ग्राम बांधी निवासी 60 साल के अनिरुद्ध प्रसाद द्विवेदी को पिछले महीने करेंट का झटका लग गया था. जिसकी वजह से उनके हाथ पैर काम नहीं करते हैं. अनिरुद्ध अपनी समस्या के बारे में बताते हैं कि उनके पास न तो रहने के लिए घर है और न ही दवाई कराने का पैसा जिसके कारण उनको इतनी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.  

बांधी गांव में करेंट लगने की ये कोई पहली घटना नहीं है. यहां इससे पहले भी कई लोगों को करेंट के झटके लग चुके हैं. जिसकी वजह से वो लोग ताउम्र के लिए अपाहिज हो गए हैं. अनिरुद्ध के घर से थोड़ी ही दूरी पर 65 साल के जीतेंद्र द्विवेदी का घर है. जीतेंद्र साल भर पहले करेंट में फंस गए थे. करेंट लगने की वजह से जीतेंद्र अब कुर्सी पर ही बैठ रहते हैं. उन्हें जब कोई सहारा देता है तब वो खड़े होकर चल पाते हैं नहीं तो सारा दिन उसी कुर्सी पर बैठे रहते हैं. बांधी गांव में ऐसे और भी लोग हैं जो करेंट लगने के कारण आज भी जूझ रहे हैं.

बांधी गांव के ही रहने वाले 29 वर्षीय पियूष द्विवेदी जन्म से ही विकलांग हैं. उनके शरीर का कोई भी हिस्सा काम नहीं करता हैं. पियूष पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हैं. पियूष के पिता एक किसान हैं. पियूष विकलांग होने के बाद भी अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाते हैं. पियूष अपने परिवार के अन्नदाता हैं.  

20 सालों से नहीं बदले जा रहे ट्रांसफॉर्मर

बांधी गांव में बिजली की समस्या काफी लंबे समय से चल रही है. गांव वाले इस समस्या को लेकर कई बार बिजली कार्यालय में धरना भी दे चुके हैं. लेकिन उसके बाद भी इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हजारों की आबादी वाले इस गांव में मात्र एक ट्रांसफॉर्मर हैं वो भी हुआ जला है. इस ट्रांसफॉर्मर में जो केबिल लगी है. वो लगभग 20 सालों बदली ही नहीं गई है. केबिल जमीन के बहुत पास आ गई हैं जिसकी वजह से गांव में आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं. इंसान के साथ-साथ बेजुवान जानवरों की आए दिन मौत होती है. बांधी गांव की आधे से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है लेकिन ट्रांसफॉर्मर न बदलने की वजह से किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं.

देखिए इस वीडियो में सारी जानकारी ||