चुनाव जब नजदीक हों तो नेताओं के पार्टी बदलने का सिलसिला शुरू हो जाता है. कुछ हार के डर से पार्टी बदल लेते हैं तो कुछ टिकट न मिलने की वजह से नाराज होकर. इन दिनों कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी में जाने वालों की लाइन लगी हुई है. विपक्ष का कहना है कि बीजेपी हमारे नेताओं को टारगेट कर रही. दरअसल हालही में दिल्ली के सीएम केजरीवाल की भी गिरफ्तारी हुई है, जिसे लेकर विपक्ष बीजेपी पर हमलावर है.
हालही में एक अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सामने आया कि 2014 के बाद से कथित रूप से भ्रष्टाचार के लिए केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करने वाले विपक्षी दल के 25 राजनेता बीजेपी में शामिल हुए. इनमें से 10 कांग्रेस से, राकांपा और शिवसेना से चार-चार, टीएमसी से तीन, टीडीपी से दो और एसपी,वाईएस से एक-एक नेता बीजोपी में शामिल हुए.
इनमें से 3 नेताओं के खिलाफ चल रहे केस बंद हो गए और 20 लोगों के खिलाफ चल रहे केस ठंडे बस्ते में चले गए. इस लिस्ट में 6 ऐसे नेताओं के नाम शामिल हैं जिन्होंने इसी साल, चुनाव के पहले बीजेपी का दामन थाम लिया है. साल 2022 की इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में एक और दिलचस्प बात निकलकर सामने आई थी कि 2014 के बाद जब NDA पावर में आई तो CBI और ED जैसी केन्द्रीय जांच एजेंसियों की 95% कार्रवाई विपक्षी दलों के नेताओं पर हुई.
विपक्ष इसे लेकर हमेशा आरोप लगाता है कि बीजेपी की वॉशिंग मशीन में भ्रष्टाचार के आरोपों की धुलाई हो जाती है. यानी जब किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है और वो बीजेपी में शामिल हो जाता है तो उसपर लगे केस बंद हो जाते है.
साल 2022-2023 में महाराष्ट्र की राजनीति चर्चा में बनी रही. यहां केन्द्रीय जांच एंजेसियां काफी एक्टिव नजर आईं. 2022 में ही शिंदे गुट ने शिवसेना छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. इसके ठीक एक साल बाद अजीत पवार गुट भी एनसीपी से एनडीए में शामिल हो गया. इसके बाद ही अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल के केस भी बंद हो गए. बीजेपी में शामिल होने वाले इन 25 नेताओं की लिस्ट में 12 महाराष्ट्र से ही हैं. जो कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेता थे.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बड़े नेता शुभेंदु अधिकारी भी इसी लिस्ट में से एक हैं. कभी ममता सरकार में मंत्री रहे शुभेंदु से सीबीाई ने शारदा घोटाले मामले में पूछताछ की थी और बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गए थे.
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण इस लिस्ट के उन नेताओं में से हैं जिनके मामले अभी अटके हुए हैं. हालांकि इन नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा है.