फरवरी का महीना चल रहा है, यानी प्यार का महीना चल रहा है. 7 फरवरी से लेकर 14 फरवरी तक वेलेंटाइन वीक मनाया जाता है. हालाकि हिंदू संस्कृति से परे यह एक वेस्टर्न कल्चर को प्रमोट करता है. लेकिन जिस तरह से आधुनिकता समाज में हावी हो रही है और लोगों को इश्क का बुखार चढ़ रहा, अब यह केवल शहरों तक सीमित नहीं बल्कि गांवों में भी इसका शुमार छाया हुआ है.
इन दिनों आप देखते होंगे लड़के – लड़कियां गुलाब, चॉकलेट और भी बहुत से गिफ्ट अपने पार्टनर को देते हैं.
इस प्यार के महीने में कुछ लोगों के दिल जुड़ते हैं, तो कुछ के टूटते हैं. कभी लड़की दिल तोड़ती है तो कभी लड़का. दिल जुड़ने और दिल टूटने का महीना ही है, फरवरी.
इसी बीच विंध्य फर्स्ट ने बघेली कवि विवेक नामदेव से कुछ इश्क के गीत सुने.
विवेक लिखते हैं, जब बघेलखंड की लड़की का दिल टूटता है तो वो क्या कहती है? और कैसे रिएक्ट करती है?
वेलेंटाइन वीक में विवेक ने हमें 2 बघेली बोली में गीत सुनाए.
पहले में एक लड़की के दिल टूटने की दुख भरी कहानी है. और दूसरे में जब बघेलखंड की लड़की को कोई लड़का प्रपोज करता है, और वो मना कर देती है. लड़की के मना करने का जो अंदाज़ है वो बिलकुल देहाती है.
पहले गीत के बोल कुछ इस तरह हैं: नहीं समझेन दिहन हम दिल, निकला निरा कसाई हो. इसका मतलब है मैंने बिना सोचे समझे दिल दे दिया है, पर अब उसने मुझे धोखा दे दिया है.
दूसरे गीत के बोल हैं: पहिले मूड के लिखिया और बिन ले जुआं, तोहरें आगे उड़ी फेर धुआं. इसका मतलब है पहले अपनी गंदगी साफ करो फिर मुझसे बात करना.
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