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विंध्य अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल से निखर रही सीधी की लोक कलाएं

विंध्य अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल

विंध्य अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में देश विदेश की कई नामी हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इस महोत्सव में विंध्य क्षेत्र के जाने-माने दिग्गज कलाकारों ने भी अपनी कलाकारी का रंग दिखाया. इसी बीच विंध्य फर्स्ट की टीम ने कुछ खास लोगों से बातचीत की जहां पर कई सारी महत्वपूर्ण बातें निकल कर सामने आई.

इस खास बातचीत में विंध्य फर्स्ट के साथ पद्मश्री से सम्मानित बाबूलाल दहिया जी, मशहूर कवि डॉ शिवशंकर सरस जी और कला संस्कृति के संस्थापक इंजीनियर आरबी सिंह जी जुड़े. पद्मश्री बाबूलाल जी कहते हैं कि सीधी जिला लोककलाओं का गढ़ है और विगत चार वर्षों से यहां का ये महोत्सव सीधी के साथ-साथ समूचे विंध्य की कलाओं को और अधिक उजागर कर रहा है. इस अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव की वजह से यहां का युवा अपने सामाजिक और नित क्रियाकलापों में भी सुधार कर रहे हैं. इस महोत्सव के चलते आने वाले समय में सीधी जिला कला और संस्कृति का गुरु बनेगा.

वहीं मशहूर कवि सरस जी कहते हैं कि विंध्य अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव की वजह से सीधी आने वाले समय में एक विजन तैयार होगा. इस महोत्सव में सबसे अधिक युवा वर्ग लाभांवित हो रहा है. इसमें रंगकर्मी, कला संस्कृति और कलाकार सबसे ज्यादा उत्साहित होते हैं. इस महोत्सव की वजह से फिल्म बनाने तक के लिए यहां के युवा प्रेरित हुए हैं. विंध्य के कलाकार अपनी कला से देश-विदेश में विंध्य का नाम रोशन कर रहें हैं.

फिर आरबी सिंह कहते हैं कि फिल्म फेस्टिवल का उद्देश्य है कि यहां की लोक संस्कृति को देश विदेश में स्कैटर किया जाए. उनका कहना है कि किसी भी व्यक्ति के विकास के लिए शिक्षा, कला संस्कृति और साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं. क्योंकि ये सभी क्रिया कलाप एक चेन के तहत बंधे होते हैं. जब सारी चीजे किसी व्यक्ति में पूरी होती हैं, तभी वह अपने आप में एक कलाकर होते हैं. सीधी में पिछले पांच साल में इस फ़िल्म फेस्टिवल की वजह से ढेरों कलाकर बनकर उभरे हैं.

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