देश में, राज्यसभा की 15 सीटों के लिए उत्तर प्रदेश की 10, कर्नाटक की 04 और हिमाचल प्रदेश की 01 सीट के लिए 27 फरवरी को चुनाव हुआ. इससे पूर्व 41 सीटों के लिए राज्यसभा सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं.
राज्यसभा चुनाव की प्रोसेस बाकी चुनावों से अलग होती है. विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के बारे में तो लगभग हर किसी को पता होता है, लेकिन राज्यसभा सांसद का चुनाव हर आम नागरिक के समझ से परे है. तो आइए, समझते हैं राज्यसभा चुनाव में वोटिंग कैसे होती है? और इसकी प्रोसेस क्या है?
राज्यसभा सांसद का चुनाव आम चुनाव से इतर जनता नहीं करती है. राज्यसभा सांसदों का चुनाव जनता मत से चुने गए सांसद करते हैं. देश में पार्लियामेंट दो हैं, राज्यसभा और लोकसभा. राज्यसभा स्थायी सदन होता है, वहीं लोकसभा अस्थाई सदन है. लोकसभा कभी भी भंग हो सकती है लेकिन राज्यसभा कभी भंग नहीं होती. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के मुताबिक, राज्यसभा में सांसदों की कुल 250 सीटें होती हैं.
250 सदस्यों में 238 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों या राज्यों से चुने जाते हैं. वहीं बचे 12 सांसद देश के वरिष्ठ या प्रतिष्ठित लोग हो सकते हैं, जिन्हें नामित राष्ट्रपति करते हैं. लेकिन वर्तमान सदन में ये आंकड़ा 245 सांसदों का ही है. राज्यसभा सांसद का कार्यकाल लोकसभा सांसदों से 01 वर्ष अधिक यानी 06 साल का होता है.
आप सोच रहे होंगे कि, राज्यसभा सांसदों की चुनाव प्रक्रिया क्या होती है?
राज्यसभा सांसद का चुनाव एक फॉर्मूले से होता है. इस फॉल्मूले के मुताबिक एक सांसद को कितने वोटों की जरूरत होती है, ये पहले से तय है. इस नियम में एक विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा किया जाता है और इसे राज्य की कुल राज्यसभा सीटों में 01 जोड़कर भाग किया जाता है. जो भी संख्या आती है उसमें 01 जोड़ने के बाद, जो आए वही संख्या एक राज्य में राज्यसभा सीट जीतने के लिए वोट की संख्या होती है.
राज्यसभा सांसद को क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं
राज्यसभा सांसद को हर महीने एक लाख रुपये सैलरी मिलती है. इसके अलावा आवास, बिजली, पानी, टेलीफोन और मेडिकल सुविधा भी मिलती है. अगर राज्यसभा के काम से सांसद यात्रा करते हैं तो उन्हें उसका खर्च भी मिलता है. ट्रेन से यात्रा के लिए एक फ्री पास दिया जाता है, जिसका उपयोग राज्यसभा सांसद कभी भी कर सकते हैं.
रिटायरमेंट के बाद हर महीने 25 हजार पेंशन मिलती है. अगर कोई राज्यसभा का सदस्य 5 साल से ज्यादा समय तक सदस्य है तो हर साल के हिसाब से 2 हजार रुपये पेंशन में और जुड़ जाते हैं. जैसे अगर कोई 6 साल के लिए सदस्य रहा तो उसको हर महीने 27 हजार रुपये मिलेगा.
ये फॉर्मूला: विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या x 100/(राज्यसभा की सीटें+1)= +1