भारत में covid vaccine को लेकर लोगों के अंदर डर भरा हुआ है. कुछ दिनों पहले एस्ट्राजेनेका की लगी कोविशील्ड के साइड इफ़ेक्ट से पूरे देश में देशहड़कंप मचा है और अब भारत में बायोटेक की corona vaccine के साइड इफेक्ट्स भी सामने आ रहे हैं. ये जानकारी economic times ने साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में पब्लिश हुई एक रिसर्च से पता चला. रिसर्च में सामने आया है, कि BHU में हुई स्टडी में हिस्सा लेने वाले करीबन एक तिहाई लोगों में Covaxin के साइड इफेक्ट्स देखे गए हैं.
इन लोगों में respiratory यानी सांस संबंधी infaction, ब्लड क्लॉटिंग और स्किन से जुड़ी बीमारियां देखी जा रही हैं. रिसर्चर्स ने पाया कि टीनएजर्स, खास कर किशोरियों और एलर्जी का सामना कर रहे लोगों को Covaxin से खतरा है. हालांकि कुछ ही दिन हुए हैं जब Covaxin बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि, उनकी बनाई वैक्सीन सेफ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी Covaxin के दो डोज लगवाए हैं.
इस वैक्सीन से होने वाली 3 समस्याएं
पहला ये कि, लोगों में सांस संबंधी इन्फेक्शन बढ़ रहा है. अध्ययन करने वाले शंख शुभ्रा चक्रवर्ती ने कहा, “हमने उन लोगों की इनफार्मेशन कलेक्ट की जिन्हें वैक्सीन लगे एक साल हो गया था. 1,024 लोगों पर स्टडी हुई. इनमें से 635 किशोर और 291 वयस्क शामिल थे.
इस स्टडी के मुताबिक, 304 यानी 47.9% किशोरों और 124 यानी 42.6% वयस्कों में सांस संबंधी इन्फेक्शन जिसे अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन कहा जाता है. इससे लोगों में सर्दी, खांसी जैसी समस्याएं देखी गई हैं.
दूसरी स्किन से जुड़ी बीमारियां देखी गईं हैं. किशोरियों में स्किन से जुड़ी बीमारियां 10.5%, जनरल डिसऑर्डर 10.2% और नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर 4.7% देखे गए हैं. वहीं, वयस्कों में जनरल डिसऑर्डर 8.9%, मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़े डिसऑर्डर 5.8% और नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर (5.5%) देखे गए हैं. तीसरा गुलियन बेरी सिंड्रोम यानी GBS भी हो सकता है.
कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स पर स्टडी में 4.6% किशोरियों में अनियमित पीरियड्स की समस्या देखी गई है. आंखों से जुड़ी असामान्यताएं 2.7% और हाइपोथायरायडिज्म 0.6% भी देखा गया. वहीं, 0.3% में स्ट्रोक और 0.1% प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) की पहचान हुई है.
गुलियन बेरी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जो लकवे की तरह शरीर के बड़े हिस्से को धीरे-धीरे अपाहिज कर देती है. अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक यानी NINDS के मुताबिक, गुलियन बेरी सिंड्रोम एक रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है.
रिपोर्ट में कहा गया कि, स्टडी में हिस्सा लेने वाले जिन टीनएजर्स और महिलाएं और वयस्कों को पहले से कोई एलर्जी रही होगी साथ ही जिन्हें वैक्सीनेशन लगने के बाद टाइफाइड हुआ उन्हें अधिक खतरा था.
2 मई 2024 को कंपनी ने कहा था कि, कोवैक्सिन की सुरक्षा का मूल्यांकन देश के health ministry ने किया था. कोवैक्सिन बनाने से लगाने तक लगातार इसकी सेफ्टी की मॉनिटरिंग की गई थी. कोवैक्सिन के ट्रायल से जुड़ी स्टडीज और सेफ्टी फॉलोअप एक्टिविटीज से कोवैक्सिन का बेहतरीन सेफ्टी रिकॉर्ड सामने आया है. अब तक कोवैक्सिन को लेकर ब्लड क्लॉटिंग, थ्रॉम्बोसाइटोपीनिया, TTS, VITT, पेरिकार्डिटिस, मायोकार्डिटिस जैसी किसी भी बीमारी का कोई केस सामने नहीं आया है.
कंपनी ने कहा था कि एक्स्पीरिएंसड इनोवेटर्स और प्रोडक्ट डेवलपर्स के रूप में भारत बायोटेक की टीम यह जानती थी कि, कोरोना वैक्सीन का प्रभाव कुछ समय के लिए हो सकता है, लेकिन मरीज की सेफ्टी पर इसका असर लाइफटाइम रह सकता है. यही वजह है कि, हमारी वैक्सीन में सेफ्टी पर हमारा सबसे पहले फोकस रहता है. भारत में कोविशील्ड के 175 करोड़ डोज लगे हैं, 36 करोड़ कोवाक्सिन के डोज लगे और 7.38 करोड़ कोर्बेवैक्स के डोज लगे.
कोवीशील्ड को लेकर विवाद चल रहा है कि इसे लगाने से कुछ केस में लोगों को थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है. स्ट्रोक और हार्ट बीट थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
जिसके बाद एस्ट्रेजेनेका ने अब ब्रिटिश अदालत में माना कि उनकी वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स हैं.