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उमरिया मध्यप्रदेश का वह जिला जहां के बाघों की दहाड़ पूरा देश सुनने आता है

मध्यप्रदेश का सबसे कम आबादी वाला दूसरा जिला होने के बाद भी उमरिया महत्वपूर्ण है. उमरिया जिला प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 458 किलोमीटर दूर है. उमरिया का  42 प्रतिशत भाग जंगल और वन्य जीवों से भरा हुआ है. उमरिया 08 कोयला खदानों, एक नेशनल पार्क और वहां रह रहे बाघों की दहाड़ से अपनी आवाज देशभर में बुलंद कर रहा है.

‘काला सोना’ देकर प्रदेश की उम्मीदों पर खरा उतरता उमरिया जिला साल 1998 से अस्तित्व में आया. जिला बनने से पहले उमरिया विंध्य क्षेत्र के शहडोल जिले का महत्वपूर्ण भाग था. राजतंत्र में यह रीवा राजघराने के कार्य क्षेत्र में आता था. बांधवगढ़ नेशनल पार्क में बाघों की संख्या प्रदेश में सबसे ज्यादा है.

उमरिया जिला चारों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है. यहां के पहाड़ और वादियां इसे और भी खूबसूरत बना देते हैं. इस जिले की पहचान वन्य जीवों के अतिरिक्त अकूत खनिज संपदा के लिए भी है. यहां बने चीनी मिट्टी के बर्तन उमरिया की विशेषता में चार चांद लगाते हैं. काला सोना यानी कोयले की भरपूर मात्रा ने मध्यप्रदेश में उमरिया को अतिमहत्वपूर्ण बनाए रखा है.

बांधवगढ़ के वनराज और उनकी दहाड़ 

बांधवगढ़ के बाघ देखने देश विदेश से सैलानी आते हैं. यहां आप करीब से वन्य प्राणी देख सकते हैं. आप उमरिया जिला मुख्यालय से मात्र 32 किलोमीटर की दूरी तय कर नेशनल पार्क पहुंच सकते हैं. 437 किलोमीटर में फैले बांधवगढ़ में टाइगर देखना अपने आप में सुखद अनुभव है. 1968 से संचालित बांधवगढ़ नेशनल पार्क में लगातार देश-विदेश के पर्यटक आते जा रहे हैं. वन्य जीव के अतिरिक्त शाल और बम्बू के वृक्ष वन्य क्षेत्र की सुंदरता को बढ़ाते हैं. बांधवगढ़ पर्वत की ऊंचाई लगभग 811 मीटर है.

मध्यप्रदेश को ऊर्जा सम्पन्न बनाता उमरिया

मध्यप्रदेश सहित देश को कोयला उपलब्ध करवाने में उमरिया की खदानें मुख्य भूमिका में हैं.  SECL ( South Eastern Coalfields)  की 8 कोयला खदानें है जो लगातार प्रदेश को ऊर्जा सम्पन्न बनाती हैं. संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन उमरिया के पाली बिरसिंहपुर में स्थित है. 1350 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता रखने वाला यह पावर स्टेशन मध्यप्रदेश की ऊर्जा क्षमता को बढ़ाता है और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है.

वन्य औषधि के लिए भी मशहूर है उमरिया

जंगल से घिरे उमरिया में पर्याप्त मात्रा में वन्य औषधीय जड़ी-बूटियां मिलती हैं. इनका उपयोग आयुर्वेद में होता है. उमरार नदी के नाम पर अपनी पहचान बनाने वाले उमरिया में स्थानीय जन आस्था का केंद्र है मां बिरासनी देवी का मंदिर. जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. कल्चुरी कालीन यह मंदिर माता के शक्तिपीठ के रूप में चर्चित है. पर्यटक यहां जाकर अलौकिक शांति का अनुभव करते हैं.

एक नजर में उमरिया की मुख्य जानकारी

पांच तहसीलों से मिलकर बने इस जिले की जनसंख्या लगभग- 6,44,758 है.  दो विधानसभा सीट वाला उमरिया जिला शहडोल लोकसभा में शामिल है. यहां की सारक्षता दर – 65.89 प्रतिशत है. उमरिया जिले के प्रमुख उत्पादन- धान, सहजन (मुनगा) माने जाते हैं. लौंगलता, समोसा, कचौरी यहां के मुख्य व्यंजन में शामिल हैं. यहां  591 गांव हैं.  उमरिया के लिए सड़क मार्ग से कटनी, शहडोल, रीवा आदि जिले के लिए नियमित बसें चलती हैं. उमरिया को दक्षिण-पूर्वी रेल्वे का कटनी-बिलासपुर खंड  रेल सुविधा से जोड़ता है.