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सिंगरौली: मध्यप्रदेश का पावर हाउस यानी ‘ऊर्जा राजधानी’ नाम से चर्चित है जिला

सिंगरौली की दूरी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से सबसे ज्यादा है. सिंगरौली भोपाल (Bhopal) से लगभग 671 किलोमीटर दूर है, लेकिन अपनी कोयले और बिजली उत्पादन क्षमता के लिए इसे मध्यप्रदेश की ऊर्जा राजधानी भी कहा जाता है. यहां नॉर्दर्न कोलफील्ड्स कोल ब्लॉक से बड़ी मात्रा में सरकार और निजी कंपनियां कोयला खनन करती हैं.

सिंगरौली में एनटीपीसी (NTPC) का पावर प्लांट है. इसके अलावा निजी क्षेत्र की जेपी(JP), रिलायंस (Reliance) जैसी बड़ी कंपनियां बिजली उत्पादन करती हैं. दुर्गम इलाकों और घने जंगलों वाला यह जिला, खनिज संसाधनों और थर्मल पावर प्लांट्स के कारण ही ‘ऊर्जांचल’ के नाम से भी जाना जाता है.

सबसे बड़ा थर्मल पावर स्टेशन

भारत का सबसे बड़ा थर्मल पावर स्टेशन भी मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में ही है जिसका नाम है विंध्याचल महाताप विद्युत गृह (Vindhyachal Super Thermal Power Station) यह  NTPC का ही पॉवर प्लांट हैं.  4,760 मेगावाट बिजली की उत्पादन क्षमता वाला यह थर्मल पावर स्टेशन सिंगरौली जिले की पहचान को विश्वस्तरीय बनाता है. सबसे ज्यादा ऊर्जा उत्पादन के कारण ही इसे ‘ऊर्जांचल’ के नाम से जाना जाता है.

श्रंगावली से सिंगरौली बनने की कहानी

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की सीमा से जुड़ा मध्यप्रदेश का सिंगरौली जिला 24 मई 2008 को अपने अस्तित्व में आया. जिला बनने से पहले सिंगरौली विंध्य क्षेत्र के सीधी जिले का हिस्सा था. राजतंत्र में रीवा रियासत में शामिल यह क्षेत्र श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली के रूप में भी जाना जाता रहा है इसी कारण सिंगरौली जिला प्राचीनकाल में श्रंगावली के नाम से भी जाना जाता रहा है. वर्तमान में यह आधिकारिक रूप से सिंगरौली जिला नाम से विख्यात है.

सिंगरौली जिले का गौरवशाली इतिहास

सिंगरौली जिला में माडा (mada) की गुफाएं अति प्राचीन मानी जाती हैं. ऐसा माना जाता है कि इनका निर्माण 7वीं और 8वीं शताब्दी के आस-पास हुआ. जिला मुख्यालय बैढ़न से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थिति यह गुफाएं अपनी ऐतिहासिक विशेषताओं के कारण पर्यटकों की जिज्ञासा का विषय बनी रहती हैं.  रॉक कट वास्तुकला के सबसे सुंदर उदाहरण स्वरूप यहां  का गणेश माडा, विवाह माडा, शंकर माडा, जलजलिया और रावण माडा गुफाएं मशहूर हैं. यह गुफा उर्जाधानी अर्थात सिंगरौली जिले के गौरवशाली इतिहास को बयां करती हैं.

ज्वालामुखी मंदिर से जुड़ते दो प्रदेश

मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण सिंगरौली में दोनों प्रदेश की संस्कृति अचार-विचार का मेलजोल नजर आता है. ऐसे में धार्मिक आस्था का केंद्र ज्वालामुखी मंदिर जो प्रचीन मंदिरों में से एक है उसके दर्शन के लिए दोनों ही प्रदेश के लोग यहां आते हैं. इसके अतिरिक्त सिंगरौली जिले में स्थिति औड़ी हनुमान मंदिर भी दोनों प्रदेश के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना है. रकसगंडा जल प्रपात और रिहंदबांध अपनी ओर आपको सहसा आकर्षित करते हैं. विंध्यनगर लेक पार्क और झींगा झिरिया पिकनिक स्पॉट देख मन आनंदित हो उठता है.

एक नजर में सिंगरौली की मुख्य बातें

तीन तहसीलों (सिंगरौली, देवसर और चितरंगी) से मिलकर बने सिंगरौली जिले की आबादी- 1,178,273 है. जिले में कुल तीन विधनसभा क्षेत्र हैं यह जिला लोकसभा क्षेत्र- सीधी अंतर्गत आता है.

स्थानीय निकाय की बात करें तो सिंगरौली जिले में जनपद पंचायत की संख्या तीन है जिनमें 316 ग्राम पंचायत और 816 गांव शामिल हैं. सिंगरौली जिले में कुल 10 पुलिस स्टेशन हैं.