Vindhya First

बेरोज़गार विंध्य को कैसे मिलेगा रोज़गार?

विंध्य क्षेत्र में बेरोज़गारी

रोज़गार की चाह हर किसी के भीतर होती है. रोज़गार सरकारी हो प्राइवेट हो या फिर स्वरोज़गार, यदि क़ाबिलयत होने के बाद भी रोज़गार न मिले ऐसे में व्यक्ति को बेरोज़गार की श्रेणी में रखा जाता है. विंध्य क्षेत्र में बेरोज़गारी का आलम ऐसा की यहां के रहवासी ग़रीबी की आग में झुलसने को मज़बूर हैं.

यदि प्राकृतिक सम्पदा की ओर देखें तो विंध्य क्षेत्र देश के सम्पन्न भूभाग में से एक है. कोयला उत्पादन हो, चूना पत्थर हो या फिर वन सम्पदा इन सभी से विंध्य क्षेत्र की भूमि आच्छादित है. इसके बाद भी इतनी बेरोज़गारी इस विंध्य क्षेत्र में क्यों? जिस विंध्य की सम्पदा का उपयोग पूरा देश करता है वहां की जनता इतनी अभावग्रस्त है यह चिंता का विषय है.

देश को उजाला देकर खुद अंधेरे में विंध्य
दिल्ली मैट्रो को 24 प्रतिशत बिजली विंध्य क्षेत्र के सोलर प्लांट से जाती है और विंध्य का युवा अंधकार में जीने को मज़बूर है. विंध्य के सीमेंट कारखानों से निकली सीमेंट से देश भर में घर बन रहे हैं और यहां का मूल निवासी कच्चे घरों में टपकती छप्पर की छांव में इंतजार कर रहा है अपने लिए रोज़गार का, यदि पूरे देश मे रोज़गार उपलब्ध करवाने के वादे सरकार द्वारा किये जा रहे हैं तो विंध्य के लोग इतने बेरोज़गार क्यों हैं.

खनिज और कारखानों की उपलब्धता से भी नही मिला रोज़गार
विंध्य क्षेत्र के सोलर प्लांट, यहां के सीमेंट कारखाने और औद्योगिक क्षेत्र पूरे देश मे चर्चा का विषय होने के बाद यदि बेरोजगारी का यह हाल बेहाल है, तो इनके न रहने पर क्या स्थिति क्या होती. दिल्ली की मेट्रो यदि विंध्य के सोलर प्लांट से चल सकती है, यहां के कोयले से देश भर के कार्य हो सकते हैं, वन सम्पदा से यदि सरकार आमदनी हो सकती है तो क्या विंध्य के लोगों को इतना भी अधिकार नही की उनको बेहतर रोजगार मिले. लगभग एक करोड़ 15 लाख की आबादी वाला विंध्य क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता में क्यों नही है? मध्यप्रदेश के बांकी हिस्सों में हालात विंध्य से बेहतर हैं.

विंध्य क्षेत्र की बेरोज़गारी मध्यप्रदेश के बाकी हिस्सों के मुकाबले
यदि उपरोक्त विवरण को आंकड़ों में देखें तो पता चलता है कि इस लेख में आख़िर विंध्य की बात ही क्यों रखी जा रही है. मध्यप्रदेश की बेरोज़गारी दर 7.1 प्रतिशत है. यदि इसे क्षेत्रवार देखें तो यह बेरोज़गारी दर मालवा क्षेत्र में 6.7 प्रतिशत है, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की बेरोज़गारी का प्रतिशत सात है. अब भारत देश की बेरोज़गारी दर को देखे तो यह 8.1 प्रतिशत है.

अब भारत देश की बेरोज़गारी दर को देखे तो यह 8.1 प्रतिशत है.  इन आंकड़ों को जानने के बाद विंध्य क्षेत्र की बेरोज़गारी की दर पर नजर दौड़ाइये यहाँ का बेरोज़गारी का प्रतिशत है 9.3 जो कि पूरे मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा है. इन आंकड़ों के मुताबिक विंध्य क्षेत्र में काम करने लायक हर दसवां व्यक्ति बेरोज़गार है.

विंध्य में बेरोज़गारी दर पूरे प्रदेश में सबसे अधिक क्यों है?
यदि किसी क्षेत्र में 3 लाख 69 हजार से ज्यादा नौकरी के आवेदन हों और 258 लोगों को नौकरी मिले तो पता चलता है कि काम की तलाश में बैठे बेरोज़गारों की संख्या किस गति से बढ़ रही है. यह कोई बनावटी बात नही है सरकारी आंकड़ों के मुताबिक विंध्य में अलग-अलग क्षेत्रों में 3 लाख 69 हजार 61 लोगों ने रोज़गार पाने के लिए अपना पंजीयन करवाया, जबकि केवल 258 नौकरियां ही उपलब्ध थीं.

नौकरी उपलब्ध भी हुई तो केवल रीवा जिले में ही. यहां एक सवाल और तैयार होता है कि क्या विंध्य के लोगों में काबिलियत नही है कि वो रोजगार पा सकें या फिर जानबूझकर कर इन्हें रोज़गार से दूर रखा जा रहा है. विंध्य फस्ट की टीम ने विंध्य की बेरोज़गारी पर एक रिपोर्ट तैयार कर कुछ जानकारों से चर्चा कर इसके वास्तविक कारण जानने का प्रयास किया है. पूरी चर्चा देखने के लिए वीडियो लिंक को क्लिक करें.