मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सो से अगर विंध्य की तुलना की जाए तो यहां पलायन की दर सबसे ज्यादा है. विंध्य के युवा अपना घर, अपनी जमीन छोड़कर जाने के लिए मजबूर हैं. इस पलायन की सबसे बड़ी वजह है रोजगार. तमाम सरकारी वादों और योजनाओं के बाद भी युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है, इसलिए युवा नौकरी की तलाश में दूसरे शहरों की ओर निकल जाते हैं. सिर्फ नौकरी ही नहीं बेहतर एजुकेशन के लिए भी लोग विंध्य से पलायन करने को मजबूर हैं.
CMIE की 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक मालवा की पलायन दर 6.3%, बुंदेलखंड की 10.3% और ग्वालियर-चंबल में 8.5% की दर से लोग पलायन करके कहीं और जाते हैं. विंध्य के पलायन की दर 2001 में 12.1% से बढ़कर 2011 में 16.5% हो गई थी. यानी यहां से हर दिन 47 युवा और साल में 17030 युवा पलायन कर जाते हैं.
विंध्य में लगभग हर दूसरा आदमी गरीबी रेखा के नीचे
विंध्य की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत की लगभग एक तिहाई ही है. विंध्य क्षेत्र की प्रति व्यक्ति आय ₹45,655 है, जबकि प्रति व्यक्ति आय का राष्ट्रीय औसत ₹1,26,406 है. लोगों के पास रोजगार न होने की वजह से विंध्य में लगभग हर दूसरा आदमी गरीबी रेखा के नीचे है.
विंध्य फर्स्ट की टीम ने यहां से पलायन करने वाले कई लोगों से खास बात-चीत की. विंध्य से अमेरिका जा चुके गौरव ने बताया कि पहले बेहतर एजुकेशन और फिर नौकरी की वजह से उन्हें अपने माता-पिता को यहां अकेले छोड़कर जाना पड़ा. अब गौरव कुछ दिन का समय निकालकर अपने माता-पिता से मिलने आते रहते हैं.
विंध्य के रहने वाले अखिलेश कई साल पहले नौकरी के लिए ऑस्ट्रेलिया तो चले गए उनके माता-पिता यहां अकेले रह गए. माता-पिता के साथ न रह पाने का दर्द बयां करते हुए काफी इमोशनल हो गए.
विंध्य के रहने वाले अखिलेश कई साल पहले नौकरी के लिए ऑस्ट्रेलिया तो चले गए उनके माता-पिता यहां अकेले रह गए. माता-पिता के साथ न रह पाने का दर्द बयां करते हुए काफी इमोशनल हो गए.