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क्या निजी संपत्ती पर समुदाय या संगठन का अधिकार हो सकता है, क्या कहता है कानून?

समाज की भलाई के लिए किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को सरकार अपने हाथ में ले सकती है? इस संवैधानिक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 9 जजों की बेंच में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी दुबे ने बताया कि निजी संपत्ति को लेकर 1977 में रंगनाथ रेड्डी केस में आए जस्टिस कृष्णा अय्यर के फैसले की व्याख्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है.

अनुच्छेद 39 (B) के अनुसार सरकार को सभी के भले के लिए सामुदायिक संसाधनों को उचित रूप से साझा करने के लिए नीतियां बनाने का अधिकार है. गौर करने वाली बात यह है कि इसमें निजी स्वामित्व वाले संसाधन भी शामिल हैं.

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप संपत्ति की पूंजीवादी अवधारणा से देखें तो यह विशिष्टता की भावना को बताती है. उन्होंने अपना पेन दिखाते हुए कहा, यह मेरा ही है. वही, समाजवादी अवधारणा संपत्ति की समानता की धारणा को बल देती है. यह कहती है कि कुछ भी व्यक्ति विशेष का नहीं है, बल्कि सारी संपत्ति समुदाय के लिए सामान्य है. यह घोर समाजवादी दृष्टिकोण है. आमतौर पर हम संपत्ति को ऐसी चीज मानते हैं जिसे हम ट्रस्ट के तौर पर रखते हैं.

चीफ जस्टिस ने कहा अगर समुदाय में कुछ उत्पन्न नहीं हुआ है तो वहां अनुच्छेद 39बी लागू नहीं होता. वहीं, अगर आप संपत्ति को किसी दूसरे को वितरित नहीं करते तो भी आर्टिकल 39बी लागू नहीं होता. समुदाय के पास संसाधनों का मतलब व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं होगा. संविधान का मूल उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन लाना था. कोर्ट ने कहा हम कतई नहीं कह सकते कि संपत्ति को निजी तौर पर रखे जाने के बाद 39बी का उपयोग नहीं बचता है. सरकार का तर्क यह है कि 39 बी और सी अभी वैध हैं. क्या यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कोर्ट इस की जांच करे.

इस पर सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने भी इस दृष्टिकोण से अभी तक जांच नहीं की है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि मिनर्वा मिल्स के फैसले के आधार पर अनुच्छेद 31सी मौजूद नहीं है. ऐसे में क्या निजी संपत्ति को समुदाय के भौतिक संसाधनों के अंतर्गत लाने का कानून अनुच्छेद 39बी व सी के तहत संरक्षित है? इसका सवाल ही नहीं उठता है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 31सी का इतिहास बताता है कि आप किसी खिलाड़ी को विकल्प बनाकर मैदान में भेजते हैं और वह आउट हो जाता है तो मतलब यह नहीं कि खिलाड़ी मैदान से बाहर हो गया. वह उसके बावजूद खेल में बना रहता है.

क्या है संविधान का अनुच्छेद 39 (B)

संविधान के अनुच्छेद 39 (B) में प्रावधान है कि, राज्य अपनी नीति को यह सुनिश्चित करने की दिशा में निर्देशित करेगा कि ‘समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए जो आम लोगों की भलाई के लिए सर्वोत्तम हो’.

क्या कहता है महाराष्ट्र सरकार का कानून

महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MHADA) इमारतों की मरम्मत के लिए कानून 1976 के तहत टैक्स लगाता है. यह टैक्स विल्डिंग में रहने वाले लोगों से विभाग के द्वारा वसूल किया जाता है. मुंबई भवन मरम्मत एवं पुनर्निर्माण बोर्ड (MBRRB) इन इमारतों की मरम्मत का काम करता है. अनुच्छेद 39 (B) के तहत दायित्व को लागू करते हुए MHADA अधिनियम को साल 1986 में संशोधित करके धारा 1A को जोड़ा गया था. इसके जमीन और भवनों को प्राप्त करने की योजनाओं को क्रियान्वित करना शामिल था, ताकि उन्हें जरूरतमंद लोगों को हस्तांतरित किया जा सके.

जमीन मालिकों ने याचिका दायर करके महाराष्ट्र सरकार के कानून के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की हैं. प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन ने दावा किया है कि यह कानून मालिकों के खिलाफ भेदभाव करने वाला है. अनुच्छेद 14 के तहत समानता के उनके अधिकार का उल्लंघन है. यह मुख्य याचिका साल 1992 में दायर की गई थी. अब 32 साल बाद फिर से इस मामले की सुनवाई हुई है.