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भ्रामक विज्ञापन: आपके टोमैटो सॉस से टमाटर गायब तो नहीं? सिर्फ एक्सपायरी डेट नहीं प्रोडक्ट की डीटेल्स चेक करना भी जरूरी

भ्रामक विज्ञापन के झांसे

आलिया भट्ट ने पांच साल पहले गार्नियर की 15 दिन में दाग-धब्बे हटाने वाली क्रीम का प्रचार किया. इसके बाद मार्केट में हर तरफ गार्नियर की क्रीम नजर आती थी. ये दावा कितना सच था इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अब मार्केट में वो क्रीम नजर ही नहीं आती है. टीवी में जब भी किसी कॉस्मेटिक ब्रांड का प्रचार आता है तो लोग उसे बड़े ध्यान से देखते हैं. गोरा होने की क्रीम, दाग धब्बे हटाने की क्रीम, झड़ते बालों को रोकने का तेल या फिर नया ट्रेंड सेटर बनते ऑर्गेनिक प्रोडक्ट. हर कोई इनसे जुड़े प्रचार टीवी या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हर दिन देखता है और इनमें से कई सारी चीजें लोग घर भी ले आते हैं. इन प्रोडक्ट को लेकर कंपनियां जो दावा करती हैं, क्या वो पूरी तरह सही होता है?

कंपनिया अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए जो दावे करती हैं वो कितने सच हैं इसका अंदाजा तो आपको बाबा रामदेव के भ्रामक विज्ञापन से हो गया होगा. अपनी दवाइयों से कोरोना ठीक करने का दावा रामदेव को इतना भारी पड़ा कि सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी. 

ये तो केवल एक मामला था लेकिन मार्केट में कई ऐसे प्रोडक्ट हैं जो केवल अपने प्रचार की वजह से बिक रहे हैं, लेकिन कंपनी के दावे की असलियत कुछ और ही है. आप जिस काजू बादाम वाली गुड-डे बिस्किट को हेल्दी समझ कर खाते हैं उसके प्रचार से तो यही लगता है कि इसमें कम से कम 50% काजू-बादाम होगा, लेकिन एक पैकिट बिस्किट में बादाम 1.8% और काजू 0.04% होता है. 

मैकविटिस की व्होल व्हीट मारी का प्रचार देखकर लोगों को लगता है कि यह आटे से बनी है, इसमें मैदा नहीं है इसलिए हेल्दी होगी. इसमें 52% मैदा और 19.5% आटा होता है. जिस फ्रेश टोमैटो सॉस को बच्चे हर चीज के साथ खाते हैं उसमें टमाटर होता ही नहीं है. इसलिए कोई भी प्रोडक्ट खरीदते वक्त इन भ्रामक विज्ञापनों के चक्कर में मत पड़िए. प्रोडक्ट के पीछे लिखी हुई डीटेल्स को अच्छे से पढ़िए और हेल्दी प्रोडक्ट ही खरीदिए. 

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