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सिंगरौली

पर्यावरण के लिए घातक है कोयला, फ्लाई ऐश से हो रही मौत, सरकार पर लगे गंभीर आरोप

भारत ने वैश्विक स्तर पर कोयले से दूर जाने को अस्वीकार कर दिया था, हालांकि कोयले से होने वाली बिजली उत्पादन को कम करने पर सहमति जताई थी. बावजूद इसके सरकार ने पर्यावरणीय नियमों में ढिलाई की. इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा और उत्पादकों को मुनाफा हुआ.

मोरवा के विस्थापितों का दर्द नहीं समझ रही सरकार.

सिंगरौली: मोरवा के विस्थापन का दंश, सालों से लड़ रहे पुनर्वास और हक़ की लड़ाई

सिंगरौली (Singrauli) भारत का एक ऐसा जिला है जहां से लगभग 32% कोयला और 38% बिजली उत्पन्न होती है. सिंगरौली मध्यप्रदेश का DMF का सबसे

मोरवा में चारों तरफ़ की ज़मीन काट कर कोयला निकाला जा रहा है. कई घर ऐसे हैं जो एक टीले की तरह नज़र आते हैं.

चेहरे की झुर्रियों में सूख रहे आंसू, पुनर्वास के इंतजार में बार-बार विस्थापित हो रहा मोरवा!

मोरवा (Morwa) की कोल माइंस (Coal Mines) से क़रीब 100 मीटर से भी कम दूरी पर देवसिया और उनका परिवार रहता है. मोरवा का यह

सिंगरौली (Singrauli) का मोरवा (Morwa) देश भर में कोयले की खान (Coal Mines) के लिए एक अलग पहचान रखता है. लेकिन यहां के स्थानीय निवासियों को सुविधाएं तो दूर मुआवजा भी नहीं मिला.

विस्थापितों का शहर बना मोरवा, जमीन चली गई पर नहीं मिला मुआवजा

मोरवा के स्थानीय लोग, अपनी ही जमीन में विस्थापितों (Displacement) जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं. सिंगरौली (Singrauli) का मोरवा (Morwa) देश भर में कोयले

मोरवा (Morwa) के चलते सिंगरौली (Singrauli) का नाम बड़े शहरों में गिना जाता है. सिंगरौली के मोरवा में कोल माइंस (Coal mining) है. अब यही मोरवा विस्थापन का दंश झेल रहा है. जिससे लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.

सिंगरौली का मोरवा झेल रहा विस्थापन का दंश, NCL के धमाकों से परेशान जनता को पुनर्वास का इंतजार!

सिंगरौली (Singrauli) के मोरवा (Morwa) में कोल माइंस (Coal mining) है. यह सिंगरौली का मुख्य इलाका है यहां पर सबसे अधिक कोयला क्षेत्र मौजूद है.

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